क्या हमने श्रीदेवी को मारा है ? क्या हम आए दिन ऐसी हत्याएं कर रहे हैं.

नई दिल्ली :  श्री देवी की मौत नहीं हत्या हुई है. जी हां. एक नज़र में ये बात आपको अजीब लगे लेकिन श्रीदेवी की मौत कोई स्वाभाविक मौत नहीं है. श्रीदेवी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई या नहीं ये पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चलेगा लेकिन जिस तरह श्रीदेवी अपने आपको पुरुषवादी समाज की नजर में युवा, दिककश और खूबसूरत बनाए रखने के लिए खुद पर अत्याचार कर रही थीं वही उनके निधन का कारण बनी. हालांकि अब सूत्रों के हवाले से यह खबर मिल रही है कि श्रीदेवी की मौत कार्डिएक अरेस्ट से नहीं बल्कि किसी और वजह से हुई है. बल्कि समाज के पुरुषवादी सोच ने उन्हें मारा है. श्री देवी की हत्या इस विचार ने की है.  उन्हें मारने वाले हम सब है.

इससे पहले संजय कपूर ने बयान दिया था कि उन्हें दिल की कोई बीमारी नहीं थी. अब यह बात सामने आ रही है कि श्रीदेवी ने कई कॉस्मेटिक सर्जरी कराई थीं. वह ऐसी 29 सर्जरी करा चुकी थीं. इनमें से एक सर्जरी में गड़बड़ी हो गई थी और वह कई दवाइयां खा रही थीं. साउथ कैलिफॉर्निया के उनके डॉक्टर ने उन्हें कई डायट पिल्स लेने की सलाह दी थी और वह उनका सेवन कर रही थीं.

वह कई ऐंटी एजिंग दवाइयां ले रही थीं. इनसे खून गाढ़ा होने की शिकायत होती है. सूत्रों के अनुसार श्रीदेवी की मौत की वजह यह भी हो सकती है.

श्रीदेवी को नज़दीक से जानने वाले कहते हैं कि वो खुद को जवां दिखाने के लिए कई तरह के प्रयोग कर चुकी थीं. उन्होंने खुद को खूबसूरत बनाए रखने के लिए कई ऑपरेशन करवाए . इस सबका बेहद बुरा असर उनके स्वास्थ्य पर बेहद बुरा पड़ रहा था लेकिन इस नुकसाने के बावजूद वो लगातार खुद को समाज की उस अपेक्षा के अनुरूप बनाने में लगी हुई थीं जो महिला को उसके स्वाभाविक रूप में सम्मान देना नहीं चाहता. जिसे महिलाएं एक वस्तु की तरह लगती हैं और जो महिलाओं को सिर्फ एक शोपीस के तौर पर देखकर खुश होता है.

श्रीदेवी उस समाज के मनोवैज्ञानिक दबाव का ही शिकार थीं. समाज का यही नज़रिया किसी महिला को चित्ताकर्षक बने रहने को मजबूर करता है. खास तौर पर वो महिलाएं इसका शिकार होती हैं जिन्हें कभी उनके सुगढ़ और सुंदर होने के कारण पुरुषवादी समाज ने सिर आंखों पर बैठाया होता है.कल्पना कर सकते हैं कि भारत का राष्ट्रपति श्रीदेवी के निधन पर ट्वीट करता है कि श्रीदेवी करोड़ों लोगो का दिल तोड़कर चली गईँ.

श्रीदेवी को अगर उनके बदले चेहरे मोहरे और उम्र के साथ समजा स्वीकार करता तो शायद वो कभी इतनी खतरनाक सर्जरी के रास्ते पर न गई होतीं. अगर अदनान सामी, मोहन कपूर और शम्मी कपूर को उनके स्वाभाविक डील डौल से इज्जत मिल सकती है तो श्रीदेवी को भी मिलनी चाहिए. भारतीय समाज परंपरागत ढंग से महिलाओं को सम्मान देता रहा है लेकिन बदलते माहौल ने हाल के सालों में स्त्री को उपभोग की वस्तु बनाना शुरू किया जिसका नतीजा श्रीदेवी की मौत के रूप में हमारे सामने है. (ichowk पर गिरिजेश वशिष्ठ का लेख)