प्रणव मुकर्जी के भाषण का निचोड़ – संघ का राष्ट्रवाद और देशभक्ति दोनों फर्जी हैं.


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नागपुर : प्रणव मुकर्जी ने आरएसएस के मंच से उसके फैलाए राष्ट्रवाद के भ्रम को तार तार कर दिया . उनके भाषण का निचोड़ था कि तुम्हारा राष्ट्रवाद फर्जी है. प्रणव मुकर्जी ने इतिहास की नज़ीरें पेश करते हुए कहा कि असली राष्ट्रवाद सभी धर्मों, प्रांतों,भाषाओं और जातियों को साथ लेकर चलने में है. उन्होंने संघ से अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि तुम्हारा राष्ट्रवाद फर्जी है. उन्होंने ये भी बताया कि असली राष्ट्रवाद क्या है. मुखर्जी ने कहा कि भारत खुला हुआ देश रहा है. भारत के दरवाजे पहले से खुले हुए हैं. इस बीच आपको बता दे कि संघ मुख्यालय के इस कार्यक्रम में न तो राष्ट्रगान हुआ न तिरंगा फहराया गया.

इससे पहले, वे गुरूवार को आरएसएस संस्थापक हेडगेवार के जन्मस्थली गए और उनकी तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किए. इस मौके पर मुखर्जी ने वीजिटर्स बुक में हेडगेवार को महान सपूत बताते हुए लिखा- मैं यहां पर भारत के महान सपूत को नमन करने आया हूं. उनके इस दौरे और उनके वहां दिए जानेवाले भाषण पर देशभर की खास नज़र बनी हुई है.

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि काफी समय कौटिल्य ने कहा था कि प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम्. नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम्.. यानी  प्रजा की खुशी में ही राजा की प्रसन्नता निहित रहती है.  प्रजा के हित में ही राजा का हित होता है. प्रजा की अच्छाई राजा की अच्छाई होती है.

08:33 PM- विचारों में समानता के लिए संवाद बेहद जरूरी है. बातचीत से हर समस्या का समाधान मुमकिन है. शांति की ओर आगे बढ़ने से समृद्धि मिलेगी.

08:29 PM- उन्होंने कहा कि सहनशीलता ही हमारे समाज का आधार है. हमारी सबकी एक ही पहचान ‘भारतीयता’ है. हम विविधता में एकता को देखते हैं. उन्होंने कहा कि हर विषय पर चर्चा होनी चाहिए. हम किसी विचार से सहमत हो भी सकते हैं और नहीं भी.

08:25 PM- प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भेदभाव और नफरत से भारत की पहचान को खतरा है. नेहरू ने कहा था कि सबका साथ जरूरी है.

08:24 PM- उन्होंने कहा कि विजयी होने के बावजूद अशोक शांति का पुजारी था. 1800 साल तक भारत दुनिया के ज्ञान का केंद्र रहा है. भारत के द्वार सभी के लिए खुले हैं.

08:15 PM- उन्होंने कहा कि सबने इस बात को माना है कि हिंदू एक उदार धर्म है. ह्वेनसांग और फाह्यान ने भी हिंदू धर्म की बात की है. राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान है. देशभक्ति का मतलब देश की प्रगति में आस्था है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद सार्वभौमिक दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः’ से निकला है.

पूर्व राष्ट्रपति ने आगे कहा ‘राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान होती है. भारतीय राष्ट्रवाद में एक राष्ट्रीय भावना रही है. सहिष्णुता और विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है. इतिहास में ह्नेनसांग से लेकर फाह्यान तक ने माना कि भारत एक उदार देश है.’

प्रणब ने कहा ‘विचारों में समानता के लिए संवाद जरूरी है, संवाद के जरिए हर समस्या का समाधान हो सकता है. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि देशभक्ति में सभी लोगों का साथ जरूरी है. राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान है जो किसी धर्म और भाषा में बंटा नहीं है.’

भाषण से पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जन्मस्थल पर उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की. इस दौरान उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे.

प्रणब मुखर्जी के भाषण से पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी अपने विचारों को साझा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘संघ समाज को संगठित करता है. भारत में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति भारतीय है. एक भारतीय किसी दूसरे के लिए पराया कैसे हो सकता है.’

भागवत ने कहा ‘संघ केवल हिंदू के लिए नहीं सबके लिए काम करता है. सरकारें बहुत कुछ कर सकती है मगर सबकुछ नहीं कर सकती. हमने सहज रूप से उन्हें (प्रणब मुखर्जी) आमंत्रण दिया और उन्होंने हमारा स्नेह पहचान कर इसपर सहमति दी. हम विविधता में एकता को लेकर चल रहे हैं. देश में कोई दुश्मन नहीं, देश की माता सबकी माता है.’

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