मेट्रो पर भी राजनीति ? सात साल का किराया एक ही साल में बढ़ाना चाहता है केन्द्र ?

नई दिल्ली : दिल्ली के सिर पर महंगाई की तलवार लटकी है. तीन महीने के अंतर से ही मेट्रो का किराया अनाप शनाप बढ़ने जा रहा है ऐसे में केन्द्र सरकार राजनीति राजनीति खेल रही है. दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने किराया बढ़ाने का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि मेट्रो ने अनापशनाप प्रॉपर्टी इकट्ठा कर रखी हैं उनसे पैसे कमाए. लेकिन किराया न बढ़ाए. इसके वो लगातार इसके लिए भागदौड़ भी कर रहे हैं.

लेकिन केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मेट्रो रेल के किराये में प्रस्तावित इजाफे को कानून सम्मत बताया है. और अजीब सा बयान दिया है . उन्होंने कहा है कि आप 3000 करोड़ रुपये दे दो हम किराया नहीं बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा है कि अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किराया बढ़ोतरी को रोकना चाहते हैं तो दिल्ली सरकार को मेट्रो परिचालन में हर साल होने वाले 3000 करोड़ रुपये की भरपाई करनी होगी.

इस बाबत केजरीवाल ने पुरी को हाल ही में पत्र लिख कर छह महीने में दो बार किराया बढ़ोतरी को जनता के साथ अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी बताते हुए इसे रोकने की मांग की थी. केजरीवाल ने ये भी कहा था कि मेट्रो के खातों को चेक किया जाए ताकि पता चल सके कि कहीं से पैसे बचाकर कुछ किया जा सकता है या नहीं.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पुरी ने केजरीवाल के सुझावों पर विस्तार से विचार-विमर्श कर उन्हें मौजूदा परिस्थतियों में किराये बढ़ोतरी को रोकना नामुमकिन बताते हुये उनकी मांग को स्वीकार करने के एवज में किये जा सकने वाले उपाय भी सुझाये हैं. पुरी ने कहा कि मेट्रो रेल (परिचालन एवं रखरखाव) अधिनियम 2002 के तहत गठित समिति की सिफारिशें मेट्रो प्रबंधन पर बाध्यकारी होती हैं. इतना ही नहीं इस कानून के तहत केंद्र या राज्य सरकार और डीएमआरसी के निदेशक मंडल के पास भी समिति की सिफारिशों में बदलाव करने का कानूनी अधिकार नहीं है.

पुरी ने दो बार किराया बढ़ोतरी में कम से कम एक साल का अंतर होने और सालाना 7 प्रतिशत किराया बढ़ोतरी की अधिकतम सीमा की केजरीवाल की दलील को भी गलत बताया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस साल मार्च में की गई किराये में बढ़ोतरी साढ़े सात साल के बाद की गई थी. यह बढ़ोतरी दो हिस्सों में लागू की गई. पहला हिस्सा मार्च में लागू किया गया और दूसरा हिस्सा 10 अक्टूबर से लागू किया जाना प्रस्तावित है, इसलिए इसे एक ही साल में दो बार की गयी बढ़ोतरी नहीं कहा जा सकता है. यानी सात साल किराया नहीं बढ़ेगा और उसके बाद एक साथ सात साल की कसर पूरी की जाएगी !

उन्होंने कहा कि सालाना किराया बढ़ोतरी की सात प्रतिशत की सीमा तय करने का नियम भी साल 2019 से लागू किया जाएगा. इस आधार पर किराया बढ़ोतरी की सीमा के उल्लंघन का केजरीवाल का आरोप भी गलत है. पत्र में पुरी ने साल 2002 से अब तक की गयी किराये में बढ़ोतरी और मेट्रो परिचालन के खर्च का भी ब्योरा दिया है. (इनपुट ndtv से)