जब प्रधानमंत्री अपने बचपन के स्कूल पहुंचा, पुराने साथियों से मिला, मोदी की भावुक यात्रा

वडनगर (गुजरात): प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार आज अपने पैतृक गांव उत्तर गुजरात के महेसाणा जिले के वडनगर पहुंचे नरेंद्र मोदी ने करीब छह किलोमीटर लंबा और एक घंटे से अधिक का रोड शो किया और इस दौरान उनका भव्य स्वागत किया गया. मोदी बचपन के अपने स्कूल बी.एन. विद्यालय पर रूके और वहां की धूल को माथे पर लगाते हुए इससे तिलक भी किया.अपने गांव में भव्य स्वागत पर लोगों के प्रति आभार प्रकट किया और इसे हृदय को छूने वाली घटना बताया. अपने संबोधन के दौरान वे भावुक भी हो गए.

कई पुराने परिचित चेहरे देखकर उनके बचपन की यादें ताजा हो गईं. कुछ पुराने दोस्तोंं के दांत तक नहीं बचे, कुछ लकड़ी लेकर चल रहे थे.

बच्चों के टीकाकरण से जुडे मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत और महिला स्वास्थ्यकर्मियों को ई-टैबलेट का वितरण भी किया तथा कई स्थानीय योजनाओं का शिलान्यास अथवा लोकार्पण भी किया.

यहां आकर ताजगी महसूस कर रहा हूं और इससे और अधिक ताकत से देश की सेवा करेंगे.

टीकाकरण अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने तथा डाक्टरों से गरीब गर्भवती महिलाओ पर विशेष ध्यान देने की भी अपील की.

वडनगर में बौद्ध काल के अवशेष के लिए खुदाई की चर्चा करते हुए कहा कि इससे यह एक बड़े पर्यटन केंद्र मे तब्दील हो सकेगा.

वडनगर को भोले बाबा की नगरी बताते हुए कहा कि यहां से चल कर वे वाराणसी अथवा काशी पहुंच गए जो भोले बाबा की नगरी है. भोले बाबा के आशीर्वाद से उन्हें आलोचना के जहर पचाने की शक्ति और मातृभूमि की सेवा करने की प्रेरणा मिली है.

बता दें कि पीएम ने वडनगर स्थित बीएन हाईस्कूल में मोदी ने वर्ष 1963 से 1967 तक पढ़ाई की. इस स्कूल के प्रिसिंपल ने एसेंबली में रोज की तरह बच्चों की लाइनें लगवाईं और उन्हें एक मंत्र दिया- “अभ्यास-ए-मुख्य कार्यक्रम छे.” (आज का मुख्य कार्यक्रम पढ़ाई ही है).

वडनगर में पीएम मोदी ने अस्पताल और मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया. मोदी ने मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं से भी बातचीत की. उन्हें ऑल द बेस्ट कहा. ये मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल 600 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है. मोदी के स्वागत में पूरे शहर को सजाया संवारा गया है. वडनगर रेलवे स्टेशन के पास के उस पेड को भी सजाया गया है जहां वह बचपन में चाय बेचते थे.

नर्मदा नदी बैराज की आधारशिला रखी

मोदी ने भरुच में नर्मदा नदी बैराज की आधारशिला रखी और सूरत के उडना से बिहार के जया नगर जाने वाली ट्रेन को हरी झंडी दिखाई.