घटिया निकला बाबा रामदेव का आंवला जूस, आर्मी कैंटीन में बिक्री पर रोक लगी

नई दिल्ली:  सरकारी लेबोरेटरी की रिपोर्ट के बाद कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (CSD) ने योग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के पतंजलि आंवला जूस की बिक्री पर रोक लगा दी है. यह कदम इस प्रॉडक्ट के बारे में एक सरकारी लैबरेटरी से प्रतिकूल रिपोर्ट मिलने के बाद उठाया गया है.

रिपोर्ट कोलकाता की रेफरल गवर्नमेंट लैबरेटरी से आई है. ये वही प्रयोगशाला है, जिसने दो साल पहले घोषणा की थी कि उसने नेस्ले मैगी नूडल्स के सैंपल्स में लेड की मात्रा तय सीमा से ज्यादा पाई और उन सैंपल्स में एमएसजी की मौजूदगी भी थी. यह मुद्दा इतना गरम हुआ था कि नेस्ले के पूरे भारत में मैगी ब्रैंड को वापस लेना पड़ा था. कंपनी ने फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के आदेश की न्यायिक समीक्षा के लिए कानूनी याचिका दायर की थी.

नवभारत टाइम्स में छपी सागर मालवीय की रिपोर्इट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट के बाद सीएसडी ने 3 अप्रैल 2017 को लिखे गए एक लेटर में अपने सभी आर्मी कैंटीन डिपो से कहा कि वे मौजूदा स्टॉक के लिए एक डेबिट नोट बनाएं ताकि उसे लौटाया जा सके. पतंजलि आयुर्वेद ने शुरुआत में जो उत्पाद बाजार में उतारे थे, उनमें आंवला जूस शामिल था. बाजार में आंवला जूस की सफलता ने कंपनी को दो दर्जन से ज्यादा कैटिगरीज में प्रॉडक्ट पेश करने में मदद की थी. कंपनी ने अपने प्रॉडक्ट्स के बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादों के से बेहतर होने का दावा किया था.

मामले की जानकारी रखने वाले दो अधिकारियों ने बताया, ‘इस बैच की जांच कोलकाता की सेंट्रल फूड लैबरेटरी में की गई थी. जांच में उसे उपभोग के लिए ठीक नहीं पाया गया. पतंजलि ने आर्मी की सभी कैंटीनों से आंवला जूस को वापस ले लिया है.’ सीएसडी और पतंजलि, दोनों ने ही इस संबंध में ईमेल से भेजे गए सवालों के जवाब नहीं दिए.

कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट के रिटेल आउटलेट्स में बिस्किट्स से लेकर बीयर, शैंपू और कार तक 5300 प्रॉडक्ट्स करीब 1.2 करोड़ उपभोक्ताओं को बेचे जाते हैं. इन उपभोक्ताओं में आर्मी, नेवी, एयरफोर्स के लोग और उनके परिवारों के अलावा एक्स-सर्विसमेन और उनके परिवार शामिल हैं. सीएसडी की शुरुआत 1948 में की गई थी. इसका मैनेजमेंट रक्षा मंत्रालय करता है. इसके तहत 3901 कैंटीन और 34 डिपो हैं. ज्यादातर कन्ज्यूमर प्रॉडक्ट कंपनियों के लिए सीएसडी के जरिए होने वाली बिक्री उनकी टोटल वॉल्यूम सेल्स का 5-7 पर्सेंट है.

यह पहला मौका नहीं है, जब पतंजलि आयुर्वेद अपने दावों को लेकर रेग्युलेटर्स के साथ विवादों में घिरी है. इससे पहले बिना लाइसेंस के नूडल्स और पास्ता बेचने के लिए उसकी खिंचाई की गई थी. पिछले साल एफएसएसएआई ने सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वह पतंजलि को उसके खाद्य तेल ब्रैंड के विज्ञापन को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी करे. उस विज्ञापन पर गुमराह करने वाली जानकारी देने का आरोप लगा था.

अब तक पतंजलि की मार्केटिंग अपने आयुर्वेदिक या प्राकृतिक ब्रैंड्स की तुलना उसी तरह के दूसरे प्रॉडक्ट्स से तुलना पर केंद्रित रही है, जिनमें उसके मुताबिक रसायनों का उपयोग होता है. हाल में आईं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा और असम के फूड रेग्युलेटरों ने प्रमुख कंपनियों के नौ उत्पादों को ‘सब-स्टैंडर्ड’ पाया था. ये उत्पाद अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 के बीच किए गए टेस्ट्स में फेल हो गए थे.