दलितों के घर भोजन करना उनका अपमान : बीजेपी सांसद

बहराइच की भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले ने नेताओं के दलितों के घर भोजन करने को लेकर सवाल उठाए और उनके (नेताओं) इस कृत्य को दलितों का अपमान बताया. उन्होंने कहा कि ये जो परंपरा चल रही है, उसमें दलित वर्ग का सिर्फ अपमान हो रहा है. नेता दलित के घर खाना खाने जाते हैं लेकिन खाना बनाने वाला कोई और होता है, परोसने वाला कोई और…. बर्तन टेंट हाउस के होते हैं.

वो गुरुवार को बहराइच के नानपारा स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से वार्ता कर रही थीं. उन्होंने नेताओं की इस कवायद को राजनीति चमकाने वाला करार देते हुए कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कभी किसी से भेदभाव नहीं किया. देशवासियों को जातिवाद के चश्में से नहीं देखा लेकिन अब अनुसूचित जाति के लोगों को अपमानित करने का दौर चल रहा है.

सावित्री ने खुद बर्तन धोने की दी सलाह
सावित्री ने कहा कि बात तो तब हो जब दलित के हाथ का बनाया हुआ खाना खाएं और खुद उसके बर्तनों को धोएं. उन्होंने कहा कि अगर अनुसूचित जाति के लोगों का सम्मान बढ़ाना है तो उनके घर पर खाना खाने के बजाय उनके लिये रोटी, कपड़े, मकान और रोजगार का इंतजाम किया जाए. हम सरकार से मांग करते हैं कि वह अनुसूचित जाति के लोगों के लिये नौकरियां सृजित करे. केवल खाना खाने से अनुसूचित जाति के लोग आपसे नहीं जुड़ेंगे.

उन्होंने भाजपा के किसी नेता का नाम लिए बिना कहा कि अनुसूचित जाति के युवाओं को नौकरी नहीं मिल पा रही. सरकार को इस मसले पर सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं सांसद हूं लेकिन मुझे अनुसूचित जाति का सांसद कहा जाता है. भारत के राष्ट्रपति को देश का राष्ट्रपति नहीं बल्कि अनुसूचित जाति का राष्ट्रपति कह कर मजाक उड़ाया जाता है. नेता अनुसूचित जाति के लोगों के घर में खाना खाते हैं और फिर टीवी और अखबार में प्रचार शुरू हो जाता है. ये दलितों का अपमान है.

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