शिवराज और वसुंधरा की छुट्टी की तैयारी, रमन सिंह भी लाइन में ?

नई दिल्ली:  क्या बीजेपी अपने थके हारे मुख्यमंत्रियों को बदलने की तैयारी कर रही है. मानें या न मानें लेकिन राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और हरियाणा के मुख्यमंत्री बदलने पर पार्टी में गंभीरता से विचार चल रहा है. पार्टी का मानना है कि इन राज्यों में जबरदस्त सरकार विरोधी लहर है.  और इस लहर में पार्टी को बहने से रोकने के लिए ज़रूरी है कि जनता के गुस्से को पार्टी के बजाय नेताओं के लिए गुस्से में बदल दिया जाए.

पार्टी लगातार ये प्रयोग करती रही है. आपको याद होगा कि दिल्ली में जब नगर निगम में करप्शन शीर्ष पर था तो बीजेपी ने आखिरी वक्त में सभी पार्षदों के टिकट काट दिए. इसके बाद पार्टी जीती. यही फॉर्मूला गुजरात में बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटकर अपनाया गया.

मध्यप्रदेश और राजस्थान में समस्य कुछ अलग तरह की है. पार्टी में अलग अलग इलाकों में अलग अलग नेताओं का प्रभाव है . इसके अलावा विधायकों का भी अपने अपने इलाके में प्रभाव है. अगर बड़ी संख्या में विधायकों को डिस्टर्ब करते हैं तो पार्टी को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है. भले ही कोई विधायक जीतने की हालत में न हो लेकिन हराने में तो भूमिका निभा ही सकता है.

ऐसी हालत में पार्टी के पास एक ही चारा है कि इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के हटा दिया जाए और चुनाव किसी अलग चेहरे के साथ लड़ा जाए.

राजस्थान और मध्यप्रदेश में पार्टी के नये अध्यक्ष भी आ ही चुके हैं.

लेकिन ये काम भी आसान नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्रियों का अपना नेटवर्क है और चुनाव के लिए संसाधन जुटाने की उनकी क्षमता को नजरअंदाज नही किया जा सकता. यही वजह है कि पार्टी फंड मैनेजर्स से मंत्रणा कर रही है.

पार्टी अपने ऑपरेशन की शुरुआत मध्यप्रदेश से कर रही है. यहां के कैलाश विजयवर्गीय अमित शाह के लगातार संपर्क में हैं. नरोत्तम मिश्रा जैसे नेता भी उनके साथ हैं. अमित शाह की मध्यप्रदेश यात्रा में भी इस पर किसी बड़े एलान की उन्मीद है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी अपनी हालत को लेकर कुछ सूंघ रहे हैं. शिवराज ने कल सार्वजनिक तौर पर इसका संकेत भी दिया. एक कार्यक्रम से जाते समय उन्होंने कहा मैं जा रहा हूं. सीएम की कुर्सी खाली है. इस पर अब कोई भी बैठ सकता है. इसके बाद काफी हंगामा हुआ. आधी रात को शिवराज के घर पत्रकारों को बुलाया गया. लेकिन बाद में एक मामूली विधायक के दलबदल की घोषणा की गई. आप समझ सकते हैं कि आधी रात को मुख्यमंत्री के घर प्रेस कांफ्रेंस का क्या मतलब हो सकता है. विधायक का पार्टी में आना तो बिलकुल नहीं लेकिन बाद में सीएम ने अपने एलान को टाला और और एक विधायक के पार्टी में आने की घोषणा करके ये बताने की कोशिश की कि बुलाने का मकसद यही था कोई खास बात नहीं है.

ये ड्रामा भी अमित शाह के भोपाल आने से ठीक पहले हो रहा है. आज का दिन एमपी में बेहद अहम होने वाला है. जो मध्यप्रदेश में होगा वो ही बाद में राजस्थान बगैरह में होगा इसलिए सबकी नज़रें अमितशाह के अगले कदम पर हैं.

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