प्रधानमंत्री जी! वो आपकी बहनें थीं जिनके कुर्ते में गुंडे हाथ डालते थे, आपने उन्हें पुलिस से पिटवाया

वाराणसी :  खबर शुरू करने से पहले बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी अक्सर लड़कियों को बहनें कहकर संबोधित करते हैं. हम भी इसी संबोधन से साथ बात करेंगे. बनारस में जिन बहनों के हॉस्टल में घुसकर मोदी सरकार की पुलिस ने आंसूगैस के गोले छोड़े और एक एक छात्र पर दर्जनों लाठियां बरसायीं वो सिर्फ अपनी इज्जत बचाने के लिए लड़ रही थीं. बहनों की इज्जत बचाने में पुलिस और योगी नाकाम थे. आप जाने हैं कि इन बहनों के कुर्तों में बदमाश हॉस्टल में घुसकर हाथ डालते थे. जी हां. यूपी की कानून व्यवस्था का हाल ये हैं कि घरों से कई किलोमीटर दूर पढ़ने आने वाली लड़कियों को हॉस्टल में घुसकर उनसे गुंडे छेड़छाड़ करते थे.

ये वो लड़कियां हैं जिन्का आंदोलन किसी बड़े सुधार या राजनीतिक मांग को लेकर नहीं था अपनी अस्मत को बचाने के लिए था. मोदी जी की ये बहने हिंदू लड़कियां थीं. जिनकी इज्जत के नाम पर करोड़ों मैसेज बना बनाकर संघ का सोशल मीडिया सेल वोट कमाता रहता है. लेकिन इनकी इज्जत एक योगी के सीएम होते रोज़ लूटी जा रही थी. जिन लड़कों की हड्डियां आपकी अग्रेज़ पुलिस ने तोड़ी है ना वो जनेऊधारी हिंदू लड़के थे. वो उत्पाती नहीं थे. वो आतातायी भी नहीं थे . वो पढने लिखने वाले बच्चे थे. कुसूर सिर्फ इतना था कि बहनों की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर पाए और हाथों में स्लोगन लेकर सड़कों पर आ गए. इन मध्यमवर्गीय गांव की लड़कियों को इस हॉस्टल में रहकर नेतागिरी नहीं करनी होती वो सिर्फ अपने सपने पूरे करने आती हैं. कोई 22 साल का किसी किसान की बेटी होती है.

गांव कनैक्शन को कैंपस की एक छात्रा ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “छात्राएं यहां सुरक्षित नहीं है. आपको शायद खबर न हो कि उस छात्रा के साथ क्या हुआ था, लड़कों ने उसके कुर्ते में हाथ डाला था जींस में हाथ डालने की कोशिश की, ऐसे में कोई कैसे बर्दाश्त कर सकता है. मेरे साथ छेड़खानी हो चुकी है. कई और लड़कियां छेड़खानी का शिकार हुई है, इसलिए इतना गुस्सा है.”

प्रदर्शन में इस छात्रा के मुताबिक इतना बड़ा कैंपस है लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं, सड़कों पर कैमरे नहीं है और सुरक्षा गार्ड नहीं है. मैं ये नहीं जानती है, छेड़खानी करने वाले लड़के कैंपस के थे या बाहर के. ऐसे में गेट में आने-जाने वालों का रिकार्ड रखा जाए. ये मांग कोई ज़मीन पर चांद लाने की थी. क्या एक यूनिवर्सिटी गर्ल्स हॉस्टल में आने जाने वालों का रिकॉर्ड नहीं रख सकती. क्या लड़कियों के हॉस्टल में सुरक्षा के लिए कैमरे नहीं लगाए जा सकते. जिन छात्रों को शिक्षा देने के नाम पर विश्वविद्यालय के फैकल्टी वेतन पाते हैं उन फैकल्टी के घर के आसपास सुरक्षा हो सकती है तो छात्राओं के पास क्यों नहीं.

वीसी की हिफाज़त और पर्दर्शन रोकने के लिए तो पूरी बनारस की पुलिस उतर आई. अगर दो पुलिस वाले भी हॉस्टल का राउंड लगा लेते तो क्या छात्रों को आंदोलन करना पड़ता.

“मामला एक लड़की का नहीं है, हम सबकी सुरक्षा है, इसीलिए इनती लड़कियां सड़क पर उतरने को मजबूर हुईं. हम सब शांति के साथ प्रदर्शन कर रहे थे, हमारी मांग थी कि वीसी साहब आएं और बात करें, लेकिन वो अब आ रहे हैं तब आ रहे हैं ये चलता रहा, इसी बीच कुछ छात्राएं उनके आवास पहुंच गई, जहां उनपर लाठीचार्ज करवाया गया, जिसकी जानकारी मिलने पर बाकी जगह (बीएचयू गेट) पर भी लाठीचार्ज हुआ.”

मिनाश्री बताती हैं, “पुलिस ने आज हदें पार की हैं, लड़कों के साथ लड़कियों को पीटा है, मेरी जानकारी के मुताबिक करीब 30 लड़कियां घायल हुई हैं. लड़कों के साथ तो पुलिस ने बर्बर व्यवहार किया है. पुलिस ने एमएसबी और त्रिवेणी समेत कई हास्टल में आंसू गैस के गोले छोड़े हैं.’

जानकारी के मुताबिक कई पेट्रोल बम फेंके गए हैं, जिसमे कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. घायलों को बीएचयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है. छात्राओँ के मुताबिक पूरा विवाद वीसी को लेकर हुआ, अगर वो पहले आकर उनकी बात सुन लेते तो बात इतनी नहीं बढ़ती.

बीएचयू के छात्रों के एक बड़े धड़े का कहना है कि मामला सिर्फ छात्राओं की सुरक्षा का था, जिसे लेकर 36-37 घंटों से लड़कियां से प्रदर्शन कर रही थीं, लेकिन इसे वीसी समेत कई लोगों ने सियासी रंग देने की कोशिश की है. (आभार बीएचयू बज़ और गांव कनेक्शन)