देश में और बढ़ सकती है महंगाई, मेक इन इंडिया फेल हुआ, उठाया जा सकता है ये कदम

नई दिल्ली :  सरकार के पास दोहरी चुनौती है. अगर वो अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए ब्याज़ सस्ता करती है तो महंगाई बढेगी और अगर महंगाई की परवाह करती है तो उद्योग धंधे प्रभावित होंगे. सरकार ने महंगाई की चिंता न करने का फैसला किया है लेकिन इसके लिए रिजर्व बैंक का सहयोग चाहिए.  इस बीच वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दरों में कटौती किये जाने की पूरी गुंजाइश है.

वित्त मंत्रालय के अधिकारी का यह बयान भारतीय रिजर्व बैंक की अगली द्विमासिक नीतिगत समीक्षा से ठीक पहले आया है. आरबीआइ अगले चार अक्टूबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा और ब्याज दर के बारे में फैसला करेगा. अधिकारी ने कहा कि महंगाई नियंत्रण में रहने की वजह से नीतिगत ब्याज दरों में कमी आने की संभावना है. सरकार की सभी समीक्षाओं में ब्याज दर चार फीसद से नीचे रहने की बात सामने आई है. अगस्त में पिछले समीक्षा के समय आरबीआइ ने रेपो रेट 0.25 फीसद घटाकर छह फीसद तय किया था. हालांकि उसने महंगाई बढ़ने की आशंका जताई थी.

उसने दस महीने के बाद पहली बार ब्याज दर में कमी की थी. इस समय रेपो रेट सात साल के न्यूनतम स्तर पर है. दूसरी ओर एक तथ्य यह भी है कि खुदरा महंगाई अगस्त में पांच माह के उच्च स्तर 3.36 फीसद पर पहुंच गई. सब्जियों और फलों की कीमत बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ी. जुलाई में खुदरा महंगाई की दर 2.36 फीसद थी. मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती के कई कारण हैं. इसमें सुधार के लिए प्रयास सभी स्तरों पर होने चाहिए.

मैन्यूफैक्चरिंग को रफ्तार देने के लिए ब्याज और एक्सचेंज रेट के मोर्चे पर समर्थन दिया जाना चाहिए. अधिकारी के अनुसार नोटबंदी और जीएसटी का असर कम होगा तो इन सेक्टरों में सुधार हो सकता है. लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती से कई सेक्टरों पर प्रतिकूल असर पड़ने लगा. रिजर्व बैंक रुपये में मजबूती नियंत्रित करने के लिए पिछले तीन महीने से लगातार बाजार में दखल दे रहा है. इससे रुपये की मजबूती थमी और घरेलू उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में होड़ लेने की कुछ ताकत मिली. लेकिन पिछले छह महीनों के दौरान उद्योगों को रुपये की मजबूती से हुए नुकसान की भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है.

आर्थिक जगत में एक अच्छी खबर आ रही है कि ग्लोबल स्तर पर निर्यात तेजी से बढ़ हा. इससे नोटबंदी और जीएसटी के कारण दबाव ङोल रहे मैन्यूफैक्चरिंग में सुधार होगा. जीएसटी के बारे में अधिकारी ने कहा कि पोर्टल पर रिटर्न फाइलिंग की समस्याएं कम हो रही है. हालांकि समस्या लोगों की इस आदत के कारण आती है कि वे रिटर्न भरने के लिए आखिरी तारीख का इंतजार करते हैं. अधिकारी जीएसटी से राजस्व संग्रह पर संतोष जताया.