फ्रूटी से फंसी: 8 करोड़ रुपये की लूट की मास्टरमाइंड, पुलिस ने हेमकुंड साहिब मार्ग पर लगाया था लंगर

लुधियाना में साढ़े 8 करोड़ की लूट की घटना में एक महिला डाकू की गिरफ्तारी हुई है। मास्टरमाइंड मनदीप कौर, जिन्हें डाकू हसीना फ्रूटी के नाम से भी जाना जाता है, ने लुधियाना के एक एटीएम कैश मैनेजमेंट कंपनी के ऑफिस में हुई इस धोखाधड़ी का प्लान बनाया था। उन्होंने अपने पति और भाई समेत कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलकर इस लूट को कार्यान्वित किया था।

घटना के दौरान, मनदीप कौर ने उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब के रास्ते में फ्रूटी का लंगर लगा दिया था। उस वक्त, मनदीप और उसके पति जसविंदर सिंह ने फ्रूटी पीने के लिए लंगर से ले ली, और उसे पीने के लिए मुंह से मास्क हटाया। पुलिस ने इसके द्वारा मनदीप की पहचान की और उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद, पुलिस ने मनदीप को लुधियाना ला दिया।

लूट के दौरान मनदीप के साथ उसके पति-भाई और कंपनी के कर्मचारी समेत कुल मिलाकर 10 लोगों ने शामिल हुए थे। उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों को बंधक बनाया और कैश लेकर फरार हो गए। पुलिस ने लुटेरों के पीछे लगाम लगाने के लिए अद्यतन सूचना के आधार पर कार्रवाई की।

पुलिस को पहली सूचना मिली थी कि लूट करने वाले गिरोह के सदस्यों ने जब वैन को छोड़ा था, तब फ्लिकर (लाइट) जला दी थी। यह दिखाने के लिए कि उन्होंने वान को पहचाना है। इस घटना के बाद, पुलिस को यकीन हुआ कि कंपनी के कोई कर्मचारी या ड्राइवर इस घटना में शामिल हैं। वे उन इलाकों में ट्रैप लगाकर रखे गए, जहां लूटेरों ने वैन को छोड़ा था।

बाद में पुलिस ने एक गांव में रेगुलर ट्रैप लगाई, जहां वैन मिली थी। वहां पुलिस ने झाड़ियों में छिपे तीन लूटेरों को गिरफ्तार किया। इनमें कंपनी के कर्मचारी मनजिंदर सिंह, जिन्हें मनी भी कहा जाता है, भी शामिल था।

लूट कामयाब होने के बाद, मनदीप और उसके पति ने उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब मंदिर में माथा टेका। इसके बाद, उनका नेपाल जाने का प्लान था। पुलिस ने काउंटर इंटेलिजेंस की मदद से लुधियाना पुलिस को इसकी टिप मिली, जिसके बाद उन्होंने एक टीम बनाकर लूटेरों की पहचान करने के लिए कार्रवाई की। मोना को पहचानना पुलिस के लिए कठिन था, क्योंकि वह बहुत से लोगों के बीच छिपी थी। इसके बावजूद, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस के अनुसार, यह लूट की योजना मनदीप कौर मोना की थी। उसने अपने पति-भाई और कंपनी के कर्मचारियों के सहयोग से इस लूट को किया था। इस घटना के बाद, मोना ने अपनी मान्यता के अनुसार हेमकुंड साहिब जाने का निर्णय लिया था। लूट कामयाब होने के बाद, वह अपने पति जसविंदर के साथ उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब मंदिर में गई।

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