नोएडा में वो हुआ जो अब कभी नहीं होता. मंच पर जो हो रहा था वो अक्सर नहीं होता

नोएडा : नोएडा लोकमंच अपने सांस्कृतिक प्रकल्प पहला कदम संस्कृति की ओर अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से विलुप्त होती प्राचीन परम्पराओ और संस्कारों के बारे मे युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए इस बार एक पुरानी विधा किस्सागोई को पेश किया है.कार्यक्रम की शुरुआत प्रख्यात लेखिका डॉ मैत्रीय पुष्पा और प्रोजेक्ट चेयरमैन राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण ने दीप प्रज्जलन कर किया गया. कार्यक्रम मे रिटायर्ड आईएएस आफिसर शांतनु मुखर्जी, सर्वोदय इन्टरनेशनल के निदेशक जमील अहमद, रिटायर्ड डीसी सेल्स टैक्स केके दीक्षित और स्कूलों मे किस्सागोई का कार्यक्रम आयोजित करने वाले कपिल पांडे ने अपनी प्रस्तुति देकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

मीडिया प्रभारी मुकुल वाजपेयी के मुताबिक ये आयोजन कहानियों को किस्सागोई के अंदाज़ में पेश करने का था. 30 मई इंदिरागांधी कला केन्द्र में हुए इस कार्यक्रम का नाम था दास्तान ए इंसानियत.

शांतनु मुखर्जी ने प्रेमचंद के कहानी ईदगाह पर अपनी प्रस्तुति दी. ईदगाह प्रेमचंद की सबसे लोकप्रिय कहानी है जो न सिर्फ पीढ़ियों को आपस मे जोड़ती है, बल्कि परम्पराओं और संस्कारो से भी भावी पीढ़ी को अवगत करने का माध्यम बनती है. इस कहानी के किरदार हमीद और उसकी दादी के बीच के संवाद को शांतनु मुखर्जी ने बेहद रोचक तरीके से प्रस्तुत किया है.

सर्वोदय इन्टरनेशनल के निदेशक जमील अहमद का कहना है कि सम्पूर्ण शिक्षा वही है जिसमे दिल और दिमाग दोनों को शिक्षित किया जाय. मसलन एजुकेटिंग माइंड विदाउट एजुकेटिंग हार्ट इस नो एजुकेशन. जमील अहमद विदेशों से जुड़ी कहानी की प्रस्तुति की. उनकी कहानी द कानवेंट स्कूल को भी लोगों ने बहुत सराहा. रिटायर्ड डीसी सेल्स टैक्स केके दीक्षित की किस्सागोई मे पेपर आर्ट का बखूबी इस्तेमाल किया गया था. उन्होने किस्सा सुनते हुये पेपर से आकृतियाँ भी बनाईं,अपने आप मे एक नई पहल है और लोगों को पसंद आया.

कपिल पांडे कुटुंब नमक संस्था चलते हैं, और स्कूलों मे जाकर बच्चों के बीच किस्सागोई की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. कपिल पांडे ने राजस्थानी लोक कथाओं के जनक कहे जाने वाले विजयदान देथा की कहानियों को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर डॉ मैत्रीय पुष्पा कहा की कितने सालो बाद इस दुनिया में लौटी हु जहां से मै आई हु . यहाँ आकार वैसा ही महसूस किया. मै दिल्ली मे 45 साल से रह रही हु, मै गाँव के माहौल को तलाशती रही हु और किताबों के माध्यम वो देने का प्रयाश करती रही हु वो माहौल यहाँ मिला . ये सिलसिला टूटना नहीं चाहिए.प्रोजेक्ट चेयरमैन राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण ने कहा की नोएडा में ससकृति जागृति आ रही है. और नोएडा में जितने प्रकार की कला और कलाकार है जुड़ना शुरू हो गए है.

क्या है किस्सागोई :

साहित्यकार अपनी रचनाओं से इतिहास परंपरा, व्यवहार, सांस्कृतिक प्रतीकों एवं मिथकों को सँजोकर रचनात्मक अभिव्यक्ति करते रहे हैं. इसे लोकमानस तक पहुंचाने और जनजीवन का हिस्सा बनाने के साथ-साथ लोकरंजन के लिए किस्सागोई की कला का विकास हुआ.

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