तीन तलाक पर मुस्लिम समाज का मास्टर स्ट्रोक, संघ परिवार दिया ये झटका

नई दिल्ली : तीन तलाक पर जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो पूरा सघ परिवार इस ताक में था कि कहीं से विरोध हो और तीन तलाक के मसले पर वो राजनीति शुरू कर दें. लेकिन दो दिन तक घात लगाकर बैठने के बावजूद आरएसएस के कंट्रोलरूम में एक भी ‘गुड न्यूज़’ नहीं आई. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक पूरी सोशल मीडिया सेल को सुबह से ही एलर्ट कर दिया गया था कि वो खबरिया चैनलों पर नज़र रखें और मुआफिक प्रतिक्रिया सामने आते ही पिल पड़ें.
चूंकि सबसे पहली प्रतिक्रिया चैनलों से आनी थी तो सबकी नज़र चैनलों मे बैठे मेहमानों पर थी. लेकिन हर तरफ फैसले का स्वागत होता चला गया. फिर एक एक कर प्रतिक्रियाओं पर नज़र रखी गई. आल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड इस मामले में पार्टी था. सोचा गया कि वो कोई प्रतिक्रिया दे तो उसके बयानों में से जूस निकालकर पूरे देश के मुसलमानों के देश प्रेम को कठघरे में खड़ा किय़ा जाए. लेकिन लॉ बोर्ड ने सीधा साधा रिस्पॉंस दिया.


इसके बाद नंबर था असदुद्मीन ओवैसी के बयान का. असदुद्दीन ओवैसी पहले एक घंटे तक एएनआई पर लाइव रहे लेकिन वो फैसले को सही बताते रहे. उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अगर पहले ही इस कुरीति पर वार कर चुका होता तो सुप्रीम कोर्ट के दखल की नौबत ही नहीं आती. इसके बाद ओवैसी अलग अलग चैनलों पर गए . उम्मीद की जा रही थी कि कही कुछ बोल दें. गलती से ही कुछ निकल आए. लेकिन कुछ ऐसा नही हुआ. इसके बाद ज़ी न्यूज़ पर असद्दुद्दीन की खिंचाई की जिम्मेदारी रोहित सरदाना को दी गई. रोहित ने काफी उल्टे सीधे सवाल किए . ओवैसी को भड़काने की कोशिश भी की लेकिन नतीजा सिफर रहा. उल्टा ओवैसी कह गए कि तीन तलाक से तो 100 लोग भी प्रभावित नहीं होते लेकिन एक करोड़ लोग बाल विवाह करतेहैं उन बच्चियों के बारे में भी ज़ी न्यूज प्रोग्राम करे.

बीजेपी के काम के बयान देने वाले अहमद बुखारी से उम्मीद थी कि वो कुछ तनाव वाला बयान देंगे. लेकिन अहमद बुखारी ने भी कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को पहले ही एक बार में तीन तलाक के खिलाफ कदम उठा लेना चाहिए था. उसके अड़िय़ल रवैये के कारण ही ये समस्या खड़ी हुई.
शबाना आजमी का बयान आया तो वो भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पक्ष में. उन्होंने कहा कि अभिनेत्री शबाना आजमी ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक ही बार में तीन तलाक पर रोक के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि यह फैसला देश की बहादुर मुस्लिम महिलाओं की जीत है।
दोपहर बीत रही थी लेकिन कोई भी विवादित बयान ढूंढा नही जा सका था. इसके बाद नया आदेश आया. कहा गया कि इस फैसले का श्रेय पीएम नरेन्द्र मोदी को दिया जाए.


सरकार या पार्टी अधिकृत रूप से ये बात नहीं कह सकते थे.क्योंकि मुकदमा महिलाओं ने दर्ज कराया था. वो ही जीती थी. हारा था मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड . मोदी सरकार पूरी तरह से तलाक को हटाने के चक्कर में थी वो फेल हो गई थी . ऊससे भी ऊपर कोर्ट ने सख्त आदेश दिया था कि सरकार को किसी भी धर्म के पर्सनल लॉ में दखल देने का अधिकार ही नहीं है. अचानक मैसेज चुटकुले और फोटोशॉप तस्वीरें गढी जाने लगीं. पूरी कोशिश थी कि मोदी को हीरो बना दिया जाए. लेकिन हीरो बन रहे हैं देश के मुसलमान उन्होंने फिर साबित किया कि देश के मुसलमान कट्टरपंथी और जड़ नहीं हैं. उन्होंने कुरीतियां हटाने का विरोध नही किया बल्कि स्वागत किया. जो बातें मोदी जी करते रहे हैं अगर वो उसपर अमल करना चाहते हैं तो खुले दिल से मुसलमानों को शाबाशी दें. उनकी तारीफ करें. ये उनके लिए अच्छा ही रहेगा.