कैंसर और एड्स का इलाज की कांफ्रेंस में बाबा रामदेव को लेकर विवाद, अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने किनारा किया

नई दिल्ली : ये खबर आपको मेनस्ट्रीम मीडिया पर नहीं मिलेगी. बाबा रामदेव किसी भी मीडिया हाऊस को आर्थिक नुकसान पहुंचाने में सक्षम हैं. वो कभी भी किसी का भी विज्ञापन बंद कर सकते हैं इस डर से लोग बाबा के खिलाफ खबरों से बचते हैं.

मामला बाबा रामदेव के एक ऐसे दावे का है जिसको लेकर इंटरनेशनल साइंस कम्युनिटी गुस्से में है. बाबा रामदेव ने दावा करते रहते हैं कि पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाएं कैंसर और एड्स का इलाज कर सकती हैं.  उनके इस दावे की वजह से कई लोग कैंसर का इलाज कराने हरिद्वार पहुंचते हैं और लाखों रुपये खर्च करके आयुर्वेदिक को ट्राई करते हैं.

हाल ही में आईआईटी मद्रास में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. ये एक कांफ्रेंस थी ‘कैंसर रोकथाम अैर इलाज: प्राचीन दवा से आधुनिक दवा तक’ विषय पर कांफ्रेंस. इसमें योग गुरु बाबा रामदेव को चीफ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया गया था. यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में स्थित एमडी एंडर्सन कैंसर सेंटर के प्रोफेसर सेन पाठक को रामदेव का परिचय कराना था.

इस बीच, कैंसर सेंटर ने सबको चौका दिया. स्वास्थ्य संबंधी गितिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था रिट्रैक्शन वॉच ने रिसर्च सेंटर को कहा कहा कि वो कांफ्रेंस में संस्थान के लोगो का इस्तेमाल नही कर सकती उसे ऐसा करने को लेकर आगाह किया था. एंडर्सन सेंटर ने ट्वीट कर कहा, ‘एमडी एंडर्सन कैंसर सेंटर अतीत में अपने ग्लोबल एकेडमिक प्रोग्राम के तहत कांफ्रेंस को स्पॉन्सर करता रहा है.

लेकिन, इस बार एंडर्सन सेंटर स्पॉन्सर नहीं है. हमारे नाम और लोगो का इस्तेमाल बिना मंजूरी के किया जा रहा है. हमारा अनुरोध है कि प्रचार सामग्री से इसे अविलंब हटा दिया जाए.’

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम के एक और आयोजक भरत अग्रवाल भी संदेह के घेरे में हैं. रामदेव योग और पतंजलि द्वारा बनाई गई दवा के जरिये कैंसर और एड्स जैसी जानलेवा बीमारियों के खत्म होने का दावा कर चुके हैं. वैज्ञानिक इस दावे को नीम हकीमी से ज्यादा अहमियत नहीं देते. रामदेव के दावों का भी वैज्ञानिक समुदाय का समर्थन नहीं मिला है. एंडर्सन कैंसर सेंटर इस कांफ्रेंस से लंबे समय से जुड़ा रहा है. इसमें हिस्सा लेने के लिए सेंटर के दो प्रोफेसर आते रहे हैं. इसपर मद्रास आईआईटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के डी. करुणागरन ने बताया कि उन्होंने सिर्फ टि्वटर ही देखा है. उन्हें कांफ्रेंस को लेकर निजी तौर पर किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई है.

जो भी हो मामला गड़बड़ लगता है. एक लब्ध प्रतिष्ठित संस्थान का उपयोग कहीं पतंजलि के आयुर्वैदिक इलाज को समर्थन दिलाने के लिए तो नहीं किया जाना था