सुप्रीमकोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा- यहां अपना कूड़ा मत खपाइए

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केन्द्र सरकार के एक शपथ पत्र को कूड़ा करार दिया. वकील को इतना फटकारा कि अपना शपथपत्र ही वापस लेना पड़ा . दर असल केन्द्र सरकार के वकील ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर 845 पन्नों का एक शपथपत्र दाखिल किया. गोल्ट ने जब इस शपथपत्र को लेकर जानकारी चाही तो वकील साहब को खुद ही नही पता था कि उसमें क्या लिखा है.

कोर्ट ने केंद्र के साथ राज्य सरकार को भी भी खूब खरी-खोटी सुनाई और कहा कि अगर केंद्र सरकार सारा कूड़ा हम पर डालना चाहती है तो हम बता दें कि हम गार्बेज कलेक्टर नहीं है. कोर्ट ने सरकार द्वारा दायर हलफनामे को लेने से इनकार कर दिया है और कहा कि हम किसी भी हालत में इसे स्वीकार करने नहीं जा रहे हैं.

सॉलिड वेस्ट की सुनवाई करते हुए जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा, ‘आप करना क्या चाहते हैं? क्या आप हमें प्रभावित करना चाहते हैं? हम बिल्कुल प्रभावित नहीं हैं.

उन्होंने आगे कहा कि क्या आप अपनी हर गंदगी कोर्ट में खपाना चाहते हैं. हम किसी भी सूरत में इसे स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि हमें ऐसा लग रहा है जैसे आप सारा कूड़ा हमारे सामने फेंक देते हैं. हम कचरा इकट्ठा करनेवाले नहीं है.

दोनों जजों का गुस्सा फूटा
कोर्ट ने 3 हफ्ते में केंद्र से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016 के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य स्तरीय सलाहकार बोर्ड के गठन पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश जारी करने का आदेश दिया.

इसके बाद कोर्ट ने 845 पेज के हलफनामे पर काउंसल को आड़े हाथों लिया और कहा- आपने हलफनामे को खुद भी नहीं पढ़ा है और लाकर हमारे सामने पटक दिया. अगर हलफनामे में तथ्य नहीं हैं तो उन्हें फाइल करने का कोई औचित्य ही नहीं है. आपने इसे नहीं देखा और आप चाहते हैं कि हम इसे देखें. हम इसे अपने रिकॉर्ड में नहीं लेने जा रहे हैं.’ कोर्ट देश भर में चिकनगुनिया और डेंगू से होने वाली मौत को लेकर चिंता जताई थी.

दर असल मामला डेंगू और चिकुन गुनिया से जुड़ा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई थी कि सर्दियों में ही डेंगू के मरीज़ आने शुरू हो गए हैं. अगर मौसम बदलेगा तो क्या होगा. कूड़े के प्रबंधन पर भी केन्द्रसे शपथ पत्र मांगा गया था.
न्यायाधीश दीपक गुप्ता और मदन लोकुर की पीठ सुनवाई कर रही थी. दोनों जजों की बेंच का गुस्सा इस मामले में सरकार की इस हरकत पर फूट पड़ा.