पाकिस्तान को सबक सिखा रहे हो या खुद को मोदी जी, MFN तो हमारे फायदे में था

पुलवामा में सीआरपीएफ के 38 जवानों की हत्या के बाद भारत ने उसके खिलाफ जो सबसे बड़ा एलान किया है वो है मोस्ट फेवर्डनेशन या सबसे पसंदीदा देश या फिर मुकद्दस दोस्त का दर्जा वापस लेने का. जानकारों का कहना है कि ये कदम उठाने से पाकिस्तान का कुछ नहीं बिगड़ेगा बल्कि भारत को नुकसान हो जाएगा. पत्रकार गिरिजेश कहते हैं कि इससे सिर्फ इतना होगा कि पाकिस्तान ने पहले 38 लोगों की जान ली और अब हम अपने व्यापार को भी नुकसान पहुंचाने लगें.

इस बीच जानकार ये भी कह रहे हैं कि पाकिस्तान के जवाबी कदम से भारत को करीब ढाई से तीन अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है. भारत का पाकिस्तान के साथ निर्यात ज्यादा, आयात कम होता है. यानी, भारत ट्रेड सरप्लस की स्थिति में होता है. अब पाकिस्तान से एमएफएन स्टेटस छिनने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार को झटका लगना तय माना जा रहा है.

अगर पाकिस्तान भारत से व्यापार पूरी तरह खत्म ही कर देता है तो उल्टा नुकसान ही होगा. हालांकि, आतंकवाद जैसे घृणित एवं अमानवीय कृत्यों पर लगाम लगाने का पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए आर्थिक नफा-नुकसान पर बहुत विचार नहीं किया जा सकता. उदयोग चैंबर एसोचैम ने कहा कि पाकिस्ताान को मोस्टु फेवर्ड नेशन का दर्जा देने से दोनों देशों के बीच कारोबार पर खास फर्क नहीं पड़ा. दोनों देशों के बीच कारोबार अब भी बेहद कम है. 2015-16 में भारत का कुल व्याीपार 641 अरब डॉलर रहा है. वहीं पाकिस्ताान के साथ व्या.पार मात्र 2.67 अरब डॉलर रहा. पाकिस्ता न को भारत का निर्यात मात्र 2.17 अरब डॉलर रहा. भारत के कुल निर्यात में यह मात्र 0.83 फीसदी. वहीं पाकिस्तारन से भारत का आयात 50 करोड़ डॉलर से भी कम है. यह भारत के कुल आयात का 0.13 फीसदी है.

फिर क्यों वापस लिया दर्जा

दरअसल दोनों देशों में ये दर्जा वापस लेने की राजनीति की वजह कोई और नहीं इस द्जे का नाम है. उर्दू में इसका मतलब होता है ‘मुकद्दस दोस्त’ वहां के नेताओं ने भारत की छवि जिस तरह दुश्मन की बना रखी है उसमें कोई भी भारत को मुकद्दस दोस्त के तौर पर देखने को तैयार नहीं है. भारत मे भी सबसे ज्यादा पसंदीदा देश का दर्जा शब्द इसी वजह से राजनीति में आया. नेता अक्सर इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं और मुशायरा लूट लेते हैं. ज्यादातर लोगों को नहीं पता होता कि इसका मतलब सिर्फ व्यापारिक है और वैसा दोस्ताना नहीं.

सरकार ने क्यों लिया वापस

पत्रकार गिरिजेश कहते हैं कि ये सिर्फ ये जताने की कोशिश की गई है कि दोस्ती वाला रिश्ता खत्म किया लेकिन इसका शाब्दिक विमर्ष के अलावा कोई मतलब नहीं है.

क्यों मिलता है एमएफएन स्टेटस?

दरअसल, दो देशों के बीच होने वाले ‘मुक्त व्यापार समझौते’ के तहत एमएफएन का दर्जा दिए जाने का प्रावधान है. एमएफएन एक आर्थिक दर्जा है जो एक देश किसी दूसरे देश को देता है या दोनों देश एक-दूसरे को देते हैं. कोई देश जिन किन्हीं देशों को यह दर्जा देता है, उस देश को उन सभी के साथ व्यापार की शर्तें एक जैसी रखनी होती हैं. जिन देशों को एमएफएन का दर्जा दिया जाता है, उन्हें व्यापार में बाकियों के मुकाबले कम शुल्क, ज्यादा व्यापारिक सहूलियतें और उच्चतम आयात कोटा की सुविधा दी जाती है.

क्या फायदा?

एमएफएन स्टेटस का इस्तेमाल लोन अग्रीमेंट और कमर्शल ट्रांजैक्शन में भी होता है. लोन अग्रीमेंट के तहत किसी एमएफएन दर्जा प्राप्त देश के लिए तय ब्याज दर से कम दर किसी सामान्य देश को ऑफर नहीं किया जाएगा. वहीं, कमर्शल ट्रांजैक्शन के मामले में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा प्राप्त देश से सस्ती डील किसी दूसरे देश को नहीं दी जाएगी.  

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