131 ‘दंगाइयों’ के खिलाफ केस वापस ले रहे हैं योगी आदित्यनाथ, मामला कोर्ट पहुंचा

नई दिल्ली: अगर कोई बीजेपी को दंगाईयों की पार्टी कहता है तो लोग गुस्से से विरोध करते हैं लेकिन दादरी में इखलाक की हत्या के आरोपियों को सरकारी कंपनी में नौकरी देने के बाद अब 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के आरोपियों को सरकार क्लीन चिट देने की तैयारी कर रही है. दंगे से संबंधित करीब 131 मामले वापस लेने के उत्तर प्रदेश सरकार के कथित प्रयास के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक याचिका दायर की गई.

दंगे के भुक्तभोगी शामली के इमरान ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि जिन मामलों को वापस लेने का प्रयास किया जा रहा है उनमें उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश राना, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, सांसद भारतेंदु सिंह, विधायक उमेश मलिक और सत्तारूढ पार्टी नेता साध्वी प्राची फंसे हुए हैं.

याचिका में मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के मामलों को दिल्ली या उत्तर प्रदेश से बाहर किसी उचित स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्देश देने की मांग की गई है ताकि निष्पक्ष और बिना किसी दबाव के सुनवाई हो सके.

द प्रिंट के मुताबिक, अपनी याचिका में इमरान ने उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार को निर्देशित करने के लिए शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की मांग की है. जिसमें दर्ज है कि योगी आदित्यनाथ को निर्देश जारी किए जाएं कि वे अपने उन प्रयासों को बंद कर दें जिनका उद्देश्य अपने अधिकारियों को अभियोजन पक्ष द्वारा केस वापस लेने के लिए उकसाना है.

इमरान ने दावा किया कि केसों को वापस लेने से कई शक्तिशाली स्थानीय नेताओं को कथित लाभ पहुंता है जो कथित तौर पर दंगों के समय से सांप्रदायिक हवा बनाने के उद्देश्य से घृणास्पद भाषणों का उपयोग कर रहे हैं.

गौरतलब है कि अगस्त-सितंबर 2013 में मुज़फ़्फ़रनगर को हिला देने वाले सांप्रदायिक दंगों में करीब 60 लोगों की मौत हुई थी, सैकड़ों घायल हुए और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए थे.

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की नेता साध्वी प्राची, भाजपा विधायक उमेश मलिक और भाजपा सांसद सुरेश राणा तथा भारतेंदु सिंह पर दंगों के दौरान भीड़ को उकसाने और सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने के आरोप लगे.

मुज़फ़्फ़रनगर और शामली के विभिन्न पुलिस स्टेशन में 1,450 लोगों के खिलाफ 500 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे. हालांकि, साल के शुरुआत में राज्य के क़ानून विभाग ने मुज़फ़्फ़रनगर और शामली के जिला न्यायाधीशों को दो पत्र भेजे और उनसे इन मामलों को वापस लेने की संभावनाओं पर राय मांगी.

उसके थोड़े ही समय बाद, मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने भाजपा नेताओं और हिंदुवादियों के खिलाफ दर्ज 131 मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया को शुरू करने के निर्देश जारी किए.

आदित्यनाथ का निर्णय उच्च स्तर के खाप पंचायत प्रतिनिधिमंडल की बैठक के बाद आया, जिसका नेतृत्व बालियान ने किया था. यहां राज्य सरकार को मामले वापस लेने का मसौदा पेश किया.

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