केजरीवाल को नहीं मिला अड़ंगों से छुटकारा, सुप्रीम कोर्ट के बाद कहां जाएं

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद केजरीवाल सरकार की अड़चनें खत्म नहीं हो रहीं. अफसरों ने फिर एक अड़ंगा लगा दिया है. अड़ंगा भी ऐसा कि अफसरों को पता ही नहीं कि अड़ंगा कैसे लगाना है. अफसरों का कहना है कि पहले लॉ डिपार्टमेंट से पता लगाया जाए कि इसमें केन्द्र का अड़ंगा लगाने की कोई गुंजाइश है भी कि नहीं. दरअसल मामला डोरस्टेप डिलीवरी का है. केजरीवाल ने कहा कि लोगों को राशन और दूसरी चीज़ें घर पहुंचाने का काम तत्काल शुरू किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एलजी तो फाइल लटका नहीं सकते थे लेकिन अफसरों ने कहा कि पहले पता करो कि इसमें केन्द्र की अनुमति की ज़रूरत तो नहीं. लेकिन जब पता नहीं चल सका तो कहा गया कि फाइल लॉ डिपार्टमेंट को भेज देते हैं. वो बताए कि कैसे केन्द्र का एंगल निकल सकता है. केजरीवाल की फाइल पर अफसर ने लिख दिया कि कानून विभाग से पता किया जाए कि कहीं इसमें केन्द्र की जरूरत तो नहीं.

 

सीएम केजरीवाल ने शुक्रवार को ही डोरस्टेप डिलीवरी को लागू करने के आदेश दिए थे. इसको लेकर सीएम केजरीवाल ने फ़ूड कमिश्‍नर को आदेश दे दिए थे और कमिश्‍नर ने इससे जुड़ी फ़ाइल लॉ विभाग को भेजकर सलाह मांगी है कि इसमें केंद्र का कानून है तो इसको किस तरह कर सकते या नहीं कर सकते?

 

इससे बिफरे सीएम केजरीवाल ने ट्वीट किया और कहा ‘कभी सुना था कि कोई अफ़सर सरेआम कैबिनेट और मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन करने से मना कर दे? इसलिए बीजेपी ‘सर्विसेज़’ अपने पास रखना चाहती है. पूरी दिल्ली देख ले कि किस बेशर्मी से बीजेपी दिल्ली के ग़रीबों की ‘घर घर राशन’ स्कीम रोक रही है. अगली बार वोट देने जाओ तो ये याद रखना’ सीएम केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा है कि  ये ख़बर पढ़ के अफसर और LG के बीच की जुगलबंदी साफ़ नज़र आ जाएगी. इस ख़बर से साफ़ ज़ाहिर है कि अफ़सरों को काम करने से रोकने के लिए कहां से कहा जा रहा है.

 

आपको बता दें कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने एलजी अनिल बैजल को चिट्ठी लिखी है. जिसमें उन्होंने साफ़ और कड़े शब्दों में एलजी से मांग की है कि ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अक्षरशः लागू करें. ख़त में केजरीवाल ने 5 मुद्दे गिनवाए हैं-जैसे सलाह, मंत्री परिषद का फैसला, कौन है दिल्ली सरकार, एलजी के पास फ़ाइल जाना जैसे 4 मुद्दों पर एलजी और केंद्र सरकार सहमत हैं, लेकिन आरक्षित विषय जैसे मुद्दे पर एलजी और केंद्र सरकार सहमत नहीं हैं. असल मे उपराज्यपाल और गृह मंत्रालय के मुताबिक दिल्ली सर्विसेज विभाग अभी भी आरक्षित विषय है. जिसपर दिल्ली सरकार का अधिकार नहीं है. क्योंकि 21 मई 2015 के नोटिफिकेशन में सर्विसेज आरक्षित विषय घोषित है और सुप्रीम कोर्ट ने उन नोटिफिकेशन के बारे में कुछ नहीं कहा है.

 

टिप्पणियां एलजी के मुताबिक 9 मुद्दों पर अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, जिसमे सर्विसेज भी एक है, लेकिन सीएम केजरीवाल और उनकी सरकार के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने साफ लिखा है कि केवल तीन विषय दिल्ली सरकार के दायरे में नही और वो हैं भूमि, पुलिस और कानून-व्यवस्था. यानी सर्विसेज स्पष्ट रूप से दिल्ली की चुनी हुई सरकार का विषय है जिसको एलजी या केंद्र सरकार उनको देने को तैयार नहीं हैं.

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