हत्या के मामले में योगी आदित्यनाथ की बढ़ सकती है मुश्किलें

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दाखिल एक निगरानी याचिका पर सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख तय कर दी है. मामला वर्ष 1999 में महाराजगंज में हुए बवाल के बाद कांग्रेस नेता तलत अजीज के सुरक्षा गार्ड सत्य प्रकाश यादव की गोली लगने से हुई मौत से जुड़ा है. इस घटना के बाद तीन एफआईआर दर्ज हुई थीं और तीनों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है. इस मामले में योगी आदित्यनाथ को भी आरोपित बनाया गया था. ऐसे में योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

ये था मामला

महाराजगंज जिले के पंचरुखिया इलाके के भिटौली कस्बे में हुई यह घटना 10 फरवरी 1999 की है. तब प्रदेश में बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार थी. एक जमीन को लेकर दो सम्प्रदायों के बीच बवाल हुआ. एक वर्ग के लोग विवादित जमीन को कब्रिस्तान बता रहे थे, जबकि दूसरे वर्ग के लोग तालाब बता रहे थे. इस दौरान दोनों पक्षों की तरफ से पथराव और फायरिंग की गई. फायरिंग के दौरान गोली लगने से तलत अजीज के सरकारी गनर सत्य प्रकाश यादव की मौत हो गई.

इस मामले में कोतवाली थाने में 3 एफआईआर दर्ज हुई थीं. तलत अजीज द्वारा दर्ज एफआईआर में गोरखपुर के तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के साथ ही कुछ अन्य लोगों को नामजद किया गया था. वहीं, योगी आदित्यनाथ द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में तलत अजीज और उनके समर्थकों को नाजमद किया गया. योगी की तहरीर में कहा गया था कि तलत अजीज ने उनकी हत्या के इरादे से फायरिंग करवाई थी.

अर्जी में सीबीसीआईडी जांच पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि तत्कालीन बीजेपी सांसद (योगी) को बचाने के लिए लीपापोती की गई है. हत्या जैसे गंभीर मामले में किसी को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती. इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए और सीजेएम कोर्ट के आदेश को रद्द कर वर्तमान सीएम के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए.

दरअसल, सीबीसीआईडी ने तीनों मामलों की जांच के बाद इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. इसके बाद तलत अजीज ने एसीजेएम महाराजगंज की कोर्ट में अर्जी दाखिल की. कोर्ट ने अर्जी को कम्प्लेंट केस माना और केस में सीआरपीसी की धारा 202 के तहत गवाहों का बयान दर्ज हुआ. बाद में कंप्लेंट केस मैजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया. मैजिस्ट्रेट के इस आदेश को याचिका के जरिए अब हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस एसडी सिंह की कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए इस पर सुनवाई के लिए चार जुलाई की तारीख तय की है.

 

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