अरबपति चीफ इंजीनियर यादव सिंह को सुप्रीमकोर्ट से क्यों मिली जमानत

नई दिल्ली: नोएडा अथॉरिटी के हजारों करोड़ रुपये के घोटाले मामले में आरोपी नोएडा अथॉरिटी के इंजीनियर यादव सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है. ED के तय समयसीमा के भीतर आरोपपत्र दाखिल न करने की वजह से कोर्ट ने जमानत दी, हालांकि यादव सिंह अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे, क्योंकि उनके खिलाफ सीबीआई ने भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और कानून के उल्लंघन के संबंध में केस दर्ज किया गया है और इस मामले में उनको अभी तक जमानत नही मिली है.कोर्ट ने यादव सिंह को कहा कि वे पासपोर्ट जमा कराएंगे साथ ही जांच में सहयोग करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे.

 

यादव सिंह के वकील ने कहा कि इस मामले में 60 दिनों में एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने आरोप पत्र दाखिल नहीं किया. यादव सिंह ने कहा कि 29 अप्रैल को 60 दिन पूरे हुए और 30 अप्रैल को रविवार था. 1 मई को यादव सिंह ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल कर दी, लेकिन एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने 2 मई को आरोप पत्र दाखिल किया. यादव सिंह ने कहा कि कानूनन 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल न होने पर जमानत मिल जाती है लेकिन इस केस में हाई कोर्ट ने जमानत नहीं दी. यादव सिंह ने इस केस में संजय दत्त के अलावा कई और केसों का उदाहरण दिया है.

 

इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी थी. लखनऊ जेल में बंद यादव सिंह ने एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के मामले में जमानत याचिका दायर की थी, जो खारिज कर दी गई. यादव सिंह सहित उनके नोएडा अथॉरिटी के नौ साथी बहुचर्चित टेंडर घोटाले में डासना जेल में सजा काट रहे हैं. यादव सिंह पर आरोप है कि उसने नोएडा प्राधिकरण में चीफ इंजीनियर रहते हुए कई सौ करोड़ रुपये घूस लेकर ठेकेदारों को टेंडर बांटे. यही नहीं नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी में इंजीनियर रहते हुए यादव सिंह की सभी तरह के टेंडर और पैसों के आवंटन में बड़ी भूमिका होती थी.