विश्व बैंक की रिपोर्ट, भारत में जीएसटी सबसे ज्यादा, फॉर्म सबसे कठिन

नई दिल्ली:  वर्ल्ड बैंक ने पीएम नरेंद्र मोदी के कथित टैक्स सुधारों पर गंभीर सवाल उठाए हैं. विश्व बैंक का कहना है कि भारत का जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) दुनिया में सबसे ज्यादा उलझी हुई है. इतना ही नहीं वर्ल्ड बैंक ने  भारत में टैक्स रेट को 115 देशों में दूसरा सबसे ऊंचा माना है.  ‘लाइव मिंट’ ने रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि विश्व बैंक ने उन सभी देशों के आंकड़े लिए हैं जहां हमारे देश की तरह अप्रत्यक्षकर प्रणाली है.

 

मोदी ने अपने जीएसटी सिस्टम में पांच स्लैब (0, 5, 12, 18 और 28 फीसद) बनाए हैं. सभी वस्तुओं और सेवाओं को इसी दायरे में रखा गया है. 1 जुलाई, 2017 को अमल में लाए गए GST के ढांचे में सरकार ने कई वस्तुओं और सेवाओं को GST के दायरे से बाहर भी रखा है और कुछ पर काफी कम टैक्स लगाए गए हैं. जैसे सोने पर 3 तो कीमती पत्थरों पर 0.25 फीसद की दर से कर लगाया गया है.

 

वहीं, अल्कोहल, पेट्रोलियम उत्पाद, रियल एस्टेट पर लगने वाला स्टाम्प ड्यूटी और बिजली बिल को GST के दायरे से बाहर रखा गया है. विश्व बैंक ने बुधवार (14 मार्च) को ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ की छमाही रिपोर्ट जारी की थी.

 

पाकिस्तान और घाना के साथ भारत को रखा

 

दुनिया के 49 देशों में GST  का सिर्फ एक स्लैब है जबकि 28 देश ऐसे हैं जिनमें दो स्लैब हैं. भारत समेत सिर्फ पांच देश ऐसे हैं जिनमें में इसके अंतर्गत पांच स्लैब बनाए गए हैं. भारत के अलावा इनमें इटली, लक्जेम्बर्ग, पाकिस्तान और घाना जैसे देश शामिल हैं. इन चारों देशों की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है. ऐसे में भारत GST के तहत सबसे ज्यादा स्लैब वाला देश भी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 12 और 18 फीसद वाले स्लैब को एक करने का वादा किया है. लेकिन, कर अदा करने में सुधार और राजस्व में वृद्धि के बाद ही यह कदम उठाया जाएगा.

 

पिछले साल नवंबर में GST काउंसिल की गुवाहाटी बैठक में 28 फीसद के स्लैब को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया गया था. पहले इसके दायरे में 228 वस्तुओं एवं सेवाओं को रखा गया था, जिसे 50 तक सीमित कर दिया गया.

 

टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर चिंता

 

वर्ल्ड बैंक ने टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है. इसका असर पूंजी की उपलब्धता पर पड़ने की बात कही गई है. रिपोर्ट में कर प्रणाली के प्रावधानों को अमल में लाने पर होने वाले खर्च को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं. विश्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के आधार पर भविष्य में स्थिति में सुधार आने की उम्मीद जताई है. रिपोर्ट में टैक्स रेट की संख्या कम करने, कानूनी प्रावधान और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की वकालत की गई है.