‘अब तक 100 संसदीय सचिवों के खिलाफ कोर्ट के फैसले तक हुए लेकिन ऐसा एक्शन कभी नहीं हुआ”

नई दिल्ली : शुक्रवार को दोपहर चुनाव आयोग ने फैसला लिया. शनिवार को छुट्टी थी लेकिन राष्ट्रपति ने दस्तखत करने में देरी नहीं लगाई. शाम होते होते आदेश सरकारी छापे खाने में चला गया और अगले ही दिन गजट में छपकर बाकायदा आप के 20 एमएलए की छुट्टी हो चुकी थी.  जाहिर बात है जब ऐसी तत्परता होगी और फैसला अभूतपूर्व तो प्रतिक्रिया भी जबरदस्त होगी. अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने ट्वीट किया है कि आजादी के बाद से अब तक 9500 से अधिक संसदीय सचिव रहे. चुनाव आयोग ने इनमें से 455 को नोटिस जारी किए, वहीं हाई कोर्ट ने ऐसी 100 से ज्यादा नियुक्तियों को खारिज कर दिया. जस्टिस काटजू के मुताबिक, यह पहली बार है कि विधायकों को अयोग्य ठहराया गया हो. ट्वीट के आखिरी में उन्होंने इस फैसले को ‘विशुद्ध बदला’ करार दिया है.

इतना ही नहीं वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने भी फैसले पर सवाल उठाए हैं. सिन्हा ने ट्वीट किया है कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने का राष्ट्रपति का फैसला न्यायिक नहीं है. कोई सुनवाई नहीं हुई, हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार भी नहीं किया गया. यह सबसे बड़ी तुगलकशाही है.

वहीं आम आदमी पार्टी ने छत्तीसगढ़ के 11 संसदीय सचिवों का मामला भी जोरशोर से उठाना शुरू कर दिया है.सवाल उठाए जा रहे हैं कि दिल्ली में चुनाव आयोग और राष्ट्रपति ने जितनी तत्परता दिखाई, उतनी छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं दिखाई जा रही? यह घटनाक्रम भाजपा की केंद्र सरकार के दोहरे लोकतांत्रिक मापदंड का जीता-जागता उदाहरण है.

साथ ही अब आम आदमी पार्टी चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. खबर है कि आम आदमी पार्टी भले ही मामले को अदालत में ले गई है और राष्ट्रपति के पास भी शिकायत दर्ज करवाने की तैयारी कर रही हो, लेकिन अब वह मान चुकी है कि देर-सवेर जनता के बीच जाना ही होगा. पार्टी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से चुनाव के लिये तैयार रहने के संकेत दे दिए हैं.