क्या है पतंजलि की खूनी चंदन की ‘तस्करी’, खून खऱाबे से सना है इस लकड़ी का इतिहास

नई दिल्ली:  योगगुरू बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने दिल्ली हाईकोर्ट में मामला दर्ज कराया है. आरोप है कि बाबा की कंपनी वेशकीमती लाल चंदन की तस्करी कर रही थी. देखने में ये मामला मामूली तस्करी या माल बाहर भेजने का लगता है. लेकिन अगर आप रक्त चंदन के बारे में जान जाएंगे तो पता चलेगा कि मामला मामूली तस्करी का नहीं है. कभी वीरप्पन जैसे तस्कर इस लकड़ी की तस्करी किया करते थे. बाबा के पास से जो 50 टन चंदन बरामद हुआ है उसकी अनुमानित कीमत 5000 रुपये किलो के हिसाब से 22 करोड़ सड़सठ लाख से ज्यादा बैठती है.

ये लाल नहीं खूनी चंदन है

रक्त चंदन को अगर आप खूनी चंदन भी कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. 5000 रुपये किलो की कीमत की इस लकड़ी के कारण कई जानें जा चुकी हैं. दिसंबर में ही पुलिस ने एक साथ 20 लकड़हारों को मुठभेड़ में मार दिया था. इन पर आरोप है कि ये चंदन की तस्करों के लिए काम कर रहे थे. ये लकड़ हारे संख्या में 200 थे .

तमिलनाड़ु सरकार ने इस मामले में बयान दिया कि इनमें 12 लोग तस्कर नहीं थे और उसके लिए काम करने वाले मजदूर थे. और मुठभेड़ फर्जी थी क्योंकि मामला वेशकीमती चंदन से जुड़ा था. यह पेड़ विशेष तौर पर कडप्पा, चित्तूर और कुरनूल और नेल्लोर जिले के एक हिस्से में फैले सेषचलम पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में उगता है। आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर अक्सर इस तरह का खून खराबा इस रक्त चंदन के लिए होता रहता है.

क्यों होती है लाल चंदन की तस्करी

दर असल ये चंदन इसलिए इतना महंगा है क्योंकि इसकी मांग बाहर के देशों खासतौर पर लाल चंदन की मांग सबसे ज़्यादा चीन में ही है क्योंकि वहां पर इसकी लोकप्रियता चौदहवी से सत्रहवीं शताब्दी के मध्य तक राज करने वाले मिंग वंश के समय से बनी हुई है. “पहले जापान में भी इसकी काफ़ी माँग थी जहां शादी के वक़्त दिए जाने वाले पारंपरिक वाद्य शामिशेन बनाने के लिए लाल चंदन की लकड़ी इस्तेमाल होती थी.

इन जगहों पर लाल चंदन की मांग और इसकी तस्करी के पीछे पूरा इतिहास है. अंग्रेजी अख़बार चाईना डेली के मुताबिक मिंग वंश के शासकों को लाल चंदन से बने फर्नीचर और सजावटी सामान इतने पसंद थे कि उन्होंने इसे सभी संभावित जगहों से मंगवाया.

मिंग वंश और उसके बाद के शासकों के बीच लाल चंदन की लकड़ी के प्रति दीवानगी का पता इस बात से चलता है कि वहां ‘रेड सैंडलवुड म्यूज़ियम’ नाम का एक विशेष संग्रहालय है जहां लाल चंदन से बने अनगिनत फर्नीचर और सजावटी सामान संजोकर रखे गए हैं.

विदेशियों की है खूनी चंदन में रुचि

आंध्र प्रदेश सरकार के वन विभाग की वेबसाइट के मुताबिक पिछले साल दिसंबर में हुई नीलामी में चीन, जापान, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात के अलावा कुछ पश्चिमी देशों से लगभग चार सौ व्यापारियों ने बोली लगाई थी. इन चार सौ में लगभग डेढ़ सौ चीनी कारोबारी थे.

लेकिन इस बार चंदन की खरीदारी में बाबा रामदेव का नाम सामने आया है. बाकायदा डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यु इंटीलजेंस ने बाबा रामदेव का चंदन के कंसाइमेंट को पकड़ा है. आरोप है कि चंदन नेपाल ले जाया जा रहा है. बाबा अगर भारत में दवाएं बनाते हैं तो चंदन चीन किसलिए भेज रहे थे ये बड़ा सवाल है ?

उधर योगगुरू बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दरअसल DRI ने पतंजलि द्वारा चीन भेजी जा रही लाल चंदन की लकड़ियां जब्त कर ली हैं.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक DRI और कस्टम डिपार्टमेंट ने लाल चंदन की लकड़ियों के साथ लकड़ियां ले जा रहे पतंजलि के प्रतिनिधि के दस्तावेज और पासपोर्ट भी जब्त कर लिए हैं. पतंजलि के पास ग्रेड-सी की चंदन की लकड़ियों के एक्सपोर्ट करने की इजाजत है.

बाबा को सरकार से मिले कागज़ात ?

इस मामले पर पतंजलि ने कहा ‘हमने अभी तक एक्सपोर्ट नहीं किया है और यह अभी प्रोसेस में है. हमें लाल चंदन की यह लकड़ियां APFDCL (आंध्र प्रदेश फोरेस्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ से खरीदी थीं और हमने कुछ भी अवैध और गलत नहीं किया है. सभी काम कानून के हिसाब से किए गए हैं.’

पतंजलि प्रवक्ता ने मेल करके बिजनेस न्यजपेपर इकोनॉमिक टाइम्स को बताया एक्सपोर्ट की प्रक्रिया में में सभी दस्तावेज, परचेज ऑर्डर, परफॉर्मा इनवॉयस, कृष्णपट्टनम पोर्ट पर लकड़ियों की मौजूदगी, लकड़ियों की दर और सी कैटेगरी की लकड़ियों के निर्यात का परमिशन और लाइसेंस उसके पास मौजूद है.

बड़ी बात ये हैं कि इस तरह के चंदन के कारोबार में बाबा रामदेव की रुचि कहां से जागी. चंदन को विदेश भेजना और सरकारी संस्थान से बाबा को मामूली रेट में चंदन मिल जाना फिर उसे चीन भेजना कुछ ऐसी बातें हैं जो कई सवाल खड़े करती हैं. इनका जवाब सरकारी कागज़ों में मिली अनुमति से कैसे मिलेगा.