सिर्फ लालबत्ती हटाकर महान बनना चाहते हैं मोदी, ज़रा भारत का इतिहास तो जानें

नई दिल्ली कार की छत से लाल बत्ती हटाकर केन्द्र सरकार ने सादगी और वीआईपी कल्चर के खात्मे पर जो मैडल लिया है वो जबरदस्त है पीएम सिर्फ लाल बत्ती हटाकर महान बन रहे हैं लेकिन भारत का इतिहास वीआईपी कल्चर वाला नहीं रहा है. हाल की दो चार सरकारों के दौर में ये शान मारने की संस्कृति ज्यादा तेज़ी से बढ़ी है.
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ कोई लाव-लश्कर नहीं चलता था. सिर्फ मोटर साइकिल पर सवार होकर एक सुरक्षाकर्मी पायलट के तौर पर चला करता था.
पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के बारे में कौन नहीं जानता . वो राष्ट्रपति भवन में भी एक सादा झोपड़ी बनाकर रहा करते थे.
नेहरू के बाद इंदिरा गाँधी की कार के साथ भी सिर्फ़ एक अतिरिक्त कार चलती थी और सड़क पर चलने वालों के लिए ये देखना आम बात होती थी कि भारत की प्रधानमंत्री अपनी कार में फ़ाइलों को पढ़ती हुई चली जा रही है.

कुलदीप नैयर अपनी आत्मकथा ‘बियॉन्ड द लाइंस’ में लिखते हैं कि एक बार भारत के तत्कालीन गृह मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पास अपनी गाड़ी रुकवा कर गन्ने का रस पिया था.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने राजीव गाँधी के ज़माने में सुरक्षा व्यवस्था बहुत मज़बूत कर दी गई थी. लेकिन इसके बावजूद जब राजीव के निवास पर एक बैठक आधी रात तक खिंच गई तो उन्होंने गृह सचिव आर डी प्रधान को अपनी जीप पर बैठाया और खुद ड्राइव करने लगे.
आर डी प्रधान अपनी किताब ‘वर्किंग विद राजीव गांधी’ में लिखते हैं, “मैं समझा कि राजीव मुझे गेट तक छोड़ने जा रहे हैं. लेकिन उन्होंने कार गेट से बाहर निकाल कर पूछा, बताइए आपका घर किस तरफ़ हैं? मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ लिये और कहा कि आप अगर एक इंच भी आगे बढ़े तो मैं चलती जीप से कूद जाउंगा. तब जा कर राजीव गांधी माने.”

लेकिन इसके बाद तो हालात बदलते चले गए. एक अनुमान के अनुसार इस समय भारत में कुल वीआईपी की संख्या पाँच लाख 79 हज़ार से ऊपर है जबकि ब्रिटेन में सिर्फ़ 84, फ़्रांस में 109 और चीन में मात्र 425 वीआईपी हैं.
भारत में राजनेताओं के अलावा नौकरशाह, जज, सैनिक अधिकारी और यहाँ तक कि फ़िल्म कलाकार भी वीआईपी स्टेटस पाने की होड़ में शामिल हैं. सेना के अफ़सरों की देखादेखी अब पुलिस अधिकारी भी अपनी कार पर स्टार लगाने लगे हैं. सेना में ब्रिगेडियर स्तर का अधिकारी भी एस्कॉर्ट कार के साथ चल रहा है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के साथ मेट्रो पर सवारी करते देखे गए है लेकिन उसको ज़्यादा से ज़्यादा एक फ़ोटो अपॉरचुनिटी ही कहा जा सकता है. लेकिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और मंत्री अक्सर मेट्रो पर सवारी कर अपने दफ़्तर पहुंचते हैं.

एक बार तो हद ही हो गई जब डेविड कैमरन ने मेट्रो पर उनके साथ सफ़र कर रही एक महिला के बच्चे की तारीफ़ कर दी. वो महिला उन्हें पहचान नहीं पाई और अपने पति से पूछ बैठी कि ये शख़्स कौन हैं जो मेरे बेटे की इतनी फ़राग़दिली से तारीफ़ कर रहा है. जब उसके पति ने कहा कि ये ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं तो वो बहुत शर्मिंदा हुई और उसने कैमरन से माफ़ी मांगी.(जानकारियां बीबीसी पर रेहान फज़ल की रिपोर्ट से)