सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा- मैं राष्ट्रवादी जज कहलाना चाहता हूं

नई दिल्ली : आधार कार्ड की वैलेडिटी को चुनौती देने वाली एक पिटीशन पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाय. चंद्रचूढ़ नाराज हो गए. दरअसल, जस्टिस चंद्रचूढ़ ने सीनियर वकील श्याम दीवान से कुछ जानकारी मांगी थी. दीवान इसका सही जवाब नहीं दे सके. इससे जस्टिस चंद्रचूढ़ खफा हो गए. उन्होंने कहा- हम ना तो केंद्र सरकार का बचाव कर रहे हैं और ना ही NGO की लाइन को फॉलो कर रहे हैं. बता दें कि आधार कार्ड को मेंडेटरी बनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुछ पिटीशंस दायर की गईं हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच इसकी सुनवाई कर रही है.

आधार की वैलेडिटी पर सुनवाई कर रही पांच जजों की बेंच में जस्टिस डीवाय. चंद्रचूढ़ भी हैं. गुरुवार को पिटीशनर के वकील श्याम दीवान ने केंद्र सरकार के वर्ल्ड बैंक को दिए एक हलफनामे का जिक्र किया. दीवान के मुताबिक, इसमें कहा गया है कि भारत कई स्कीम्स में आधार जरूरी करने के बाद हर साल करीब 11 बिलियन डॉलर की बचत कर सकेगा.

दीवान के मुताबिक केंद्र का कहना है कि केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट का इस्तेमाल यह कहते हुए किया कि वर्ल्ड बैंक इंडिपेंडेंट बॉडी है और वो किसी घालमेल में शामिल नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ऑथेंटिक नहीं मानी जा सकती क्योंकि इसके चीफ पॉल रोमर ने हाल ही में यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वर्ल्ड बैंक के डाटा मे इंटेग्रिटी नहीं होती.

दीवान की दलीलों पर जस्टिस चंद्रचूढ़ ने पूछा कि पिटीशनर्स के मुताबिक घालमेल क्या है और उनकी अपील का इससे क्या संबंध है. जस्टिस चंद्रचूढ़ ने कहा- इस तरह की बातों को उठाने का मतलब क्या है.

जस्टिस चंद्रचूढ़ ने आगे कहा- जब भी हम सवाल पूछते हैं तो हम पर हमले होते हैं. हम यहां ना तो केंद्र सरकार का बचाव कर रहे हैं और ना ही एनजीओ की लाइन को फॉलो कर रहे हैं.

उन्होंने कहा- जब भी सवाल पूछे जाते हैं, तो आरोप लगाया जाता है कि ‘आप आईडियोलाजी से बंधे हुए हैं’. हमको आधार जज कहा जाता है. हम संविधान की भावना के मुताबिक काम करते हैं. जस्टिस चंद्रचूढ़ ने आगे कहा- मैं नेशनलिस्ट जज कहलाना पसंद करूंगा.

मैं संविधान के प्रति जवाबदेह

जस्टिस चंद्रचूढ़ ने आगे कहा- मैं शुरू से सुन रहा हूं कि अगर मैं आपके साथ नहीं हूं तो तब मैं एक आधार जज हूं. लेकिन, मैं इसकी चिंता नहीं करता. मैं किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हूं. मैं संविधान के लिए कमिटेड हूं. इस तरीके से आप दलीलें पेश नहीं कर सकते. और ना ही कॉन्स्टीट्यूशनल मैटर्स पर बढ़ाचढ़ाकर पेश की गई बातों पर बहस हो सकती.

जस्टिस चंद्रचूढ़ की नाराजगी को देखते हुए श्याम दीवान ने माफी मांग ली. जस्टिस चंद्रचूढ़ ने इसे स्वीकार भी कर लिया. और कहा- मैं जज बनने से पहले 20 साल तक वकालात कर चुका हूं. जज जब मुझसे सवाल नहीं पूछते थे तो मैं झुंझला जाता था. सुनवाई में शामिल जस्टिस एके. सीकरी ने कहा- हमने केंद्र से भी ढेरों सवाल किए हैं और आगे भी जब मौका आएगा तो ऐसा ही करेंगे.