सूकी के हाथ में नहीं है रोहिंग्या की समस्या का समाधान, जानिए क्यों लाचार हैं वो

नई दिल्ली :  अक्सर म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के उपर चल रहे अत्याचार के लिए वहां की नेता आंग सान सू की को जिम्मेदार ठहराया जाता है. आरोप लगता है कि सू की नोवल शांति पुरस्कार विजेता होने बावजूद हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं. म्यांमार के बौद्धों पर भी हिंसक रास्ते अपनाने और गौतम बुद्ध के रास्ते से हट जाने के आरोप लगते हैं लेकिन म्यामांर की हकीकत कुछ और हैं. वहां न तो सू की कुछ करने की हालत में हैं न वो खुलकर कुछ बोल सकती हैं. उन्हें वो ही बोलना होता है जो मिंग ऑन्ग लैंग नाम का जनरल बोलता है . म्यांमार में दिखावे का लोकतंत्र हैं. ठीक वैसे जैसे दिल्ली में केजरीवाल सीएम हैं लेकिन नाम के.

आपको बता दें कि साल 2011 में म्यांमार के सैनिक नेतृत्व ने देश की जुंटा सरकार को भंग कर दिया था तभी से लोकतंत्र सैनिक बैसाखियों पर आ गया. जनरल लैंग ने यहां चुनाव तो कराए कराए. इन चुनावों में आंग सान सू की के नेतृत्व वाली नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी ने भाग भी लिया और अप्रैल, 2016 में जाकर उनकी सरकार भी बनी. लेकिन हालांकि जनरल ने कई शक्तियां अपने पास रखीं. नया कानून बनाया गया जिसमें और म्यांमार की संसद में एक चौथाई प्रतिनिधि की नियुक्ति आर्मी चीफ़ खुद करते हैं.

सीधा मतलब ये है कि म्यांमार में सेना के बगैर पत्ता भी नहीं हिल सकता. इतना ही नहीं  आंग सान सू की की सरकार का तीन बड़े बुनियादी मंत्रालयों- गृह, रक्षा और सीमा पर कोई अधिकार नहीं है. इतना ही नहीं हिंसा प्रभावित रखाइन में जनरल लैंग खुद कमान संभाले हुए हैं और लहां कोई चुना हुआ प्रतिनिधि चूं भी नहीं कर सकता.

ब्रिटिश अख़बार ‘द गार्जियन’ ने हाल ही में अपने एक संपादकीय में लिखा कि रोहिंग्या लोगों पर हो रहे अत्याचार को आंग सान सू की नहीं रोक सकतीं.

अख़बार के मुताबिक़, “रखाइन में सेना ने कमान संभाल रखी है और चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल करने के बावजूद सू की की सरकार के पास सुरक्षा का जिम्मा नहीं है. वे सत्ता में जरूर हैं लेकिन उनके पास केवल बयान देने का नैतिक हथियार है. वे सैनिक कार्रवाई रोकने के लिए म्यांमार में जनमत तैयार कर सकती हैं.”

सेना प्रमुख मिन ऑन्ग लैंग ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों को नफरत की सारी सीमाएं तोड़कर हटाना चाहते हैं. वो कहते हैं रोहिंग्या की जड़ें उनके देश में नहीं हैं. उन्होंने अपने देशवासियों से इस मुद्दे का सामना करने की अपील की है.

म्यांमार की सेना पर सुनियोजित तरीके से रोहिंग्या मुसलमानों के जातीय नरसंहार के आरोप लग रहे हैं. शनिवार को जनरल मिन ऑन्ग लैंग ने अपने फ़ेसबुक पेज पर म्यांमार के लोगों और मीडिया से रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर एक होने की अपील की.