RBI का नया नियम बढ़ा सकती है आपकी मुश्किल!

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में एक नया नियम जारी किया है जिसका असर उन लोगों पर हो सकता है जो होम लोन लेते हैं। यह नया नियम बैंकों को एक निश्चित ब्याज दर पर स्विच करने की इजाजत देता है। इसके परिणामस्वरूप, अगर ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों और वित्तीय कंपनियों को समान ब्याज दर में वृद्धि करने की आवश्यकता हो सकती है। यह नियम लोन की रीसेट के दौरान भी फिक्स्ड ब्याज दर का विकल्प प्रदान करता है।

नए नियम के अनुसार, लोन के अप्रूवल पत्र में भविष्य में होने वाली ब्याज दर के स्विचिंग से जुड़ी लागतों का उल्लेख होना आवश्यक होगा। इसके साथ ही, लोन के प्रदाताओं को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता होगी कि ब्याज दरों में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की स्थिति में भी वे लोन की मासिक ईएमआई को कवर कर सकेंगे। यह नया नियम आपकी मासिक ईएमआई में बढ़ोतरी का कारण बन सकता है।

सादे शब्दों में, अगर ब्याज दरों में वृद्धि होती है, तो बैंकों और वित्तीय कंपनियों को बढ़े हुए ब्याज दरों को अपने लोनों में शामिल करने के लिए मजबूर होने का खतरा हो सकता है। जब ब्याज दरों में वृद्धि होती है, तो फ्लोटिंग रेट वाले लोनों की ब्याज दर भी वृद्धि कर दी जाएगी। इसका अर्थ है कि फिक्स्ड रेट पर बने लोनों की ईएमआई में भी बढ़ोतरी हो सकती है।

आरबीआई के नए नियमों के अनुसार, जब लोन की रीसेट होती है, तो मौजूदा ब्याज और अधिकतम ब्याज की दरों को विचार में लाकर लोन की नई ईएमआई का निर्धारण किया जाएगा। बैंक और वित्तीय संस्थान उधारकर्ताओं को मौजूदा ब्याज दर के आधार पर ही रिपेमेंट करने का विकल्प प्रदान करेंगे। इससे अगर आपके पास लोन है और ब्याज दर में वृद्धि होती है, तो आपको अपनी मासिक ईएमआई में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है।

हाल कुछ समय से, लोन की ब्याज दरों में 6 फीसदी तक की उछाल देखी गई है। इसका मतलब है कि ब्याज का बोझ तेजी से बढ़ रहा है और लोन की अवधि के दौरान भी ब्याज दरों में वृद्धि हो रही है। इस मामूले में, आपको अपनी मासिक ईएमआई को समायोजित करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता हो सकती है, विशेष रूप से जब आपका लोन रीसेट होता है या अधिकतम ब्याज दर में वृद्धि होती है।

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