1000 और 500 के नोट अगर बच गए हैं तो जुलाई तक संभालकर रखें. आशा की एक किरण बाकी है

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी करते वक्त वादा किया था कि लोग 31 मार्च 2017 तक अपने पुराने 1000 और पांच सौ के नोट आरबीआई जाकर जमा कर सकेंगे. बाद में सरकार अचानक फैसला बदल दिया और ये सुविधा सिर्फ एनआरआई के लिए सीमित कर दी. सरकार की इस वादा खिलाफी के खिलाफ एक याचिका दायर की गई. जिसमें सप्रीम कोर्ट ने जुलाई की तारीख दी.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी पर लाए गए अध्यादेश में मियाद बढ़ाकर नागरिकों को नोट जमा कराने का एक और मौका दिए जाने की कोई बाध्यता नहीं है। अध्यादेश में चलन से बाहर हुए नोटों को रखना अपराध माना गया है।

दर्जनभर से ज्यादा याचिकाकर्ताओं ने 30 दिसंबर से पहले नोट जमा नहीं करा पाने की विभिन्न वजहों का हवाला दिया। उनके वकीलों ने कोर्ट में शिकायत की कि केंद्र सरकार ने इन मामलों के बिल्कुल जुदा कारणों पर प्रतिक्रिया दिए बिना एक सामान्य सा शपथ पत्र दायर कर दिया।

रोहतगी ने कहा कि सरकार की राय में अब बंद हो चुके नोटों को जमा कराने का कोई दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा। केंद्र के शपथ पत्र में एक मामले का जिक्र है जिसमें याचिकाकर्ता ने 66.80 लाख रुपये मूल्य के पुराने नोट जमा कराने की मांग की है और कहा कि वह इसलिए नोट जमा नहीं करा सका क्योंकि उसका बैंक अकाउंट केवाइसी से जुड़ा नहीं था।

मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल ने पुराने नोटों को रद्दी होते देखने की पीड़ा से राहत पाने के व्यक्तिगत प्रयासों में दिलचस्पी लेने से इनकार कर दिया। इन्होंने कहा, ‘हम यह फैसला करेंगे कि क्या एक और मौका मिलेगा या नहीं। अगर हां, तो सभी को फायदा होगा।’ रोहतगी ने कहा, ‘अगर सुप्रीम कोर्ट ने पुराने नोट बदलवाने का सीमित मौका देने का फैसला करेगा तो भी यह सरकार ही तय करेगी कि 30 दिसंबर तक नोट जमा नहीं करवा पाने का किसका कारण उचित है और किसका अनुचित।’