अभिभाषण : 15 साल जेल में बिताने वाले नेहरू गद्दार और ट्रेन से कटने वाले दीन दयाल महान आत्मा ?

नई दिल्ली:  राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का नाम नहीं लिया. देश को पाकिस्तान के खिलाफ विश्व की सबसे बड़ी विजय दिलाने वाली इंदिरा गांधी का नाम नहीं लिया. देश में तकनीकी क्रांति करने वाले राजीव गांधी का नाम नही लिया. लेकिन हद देखिए पंडित दीन दयाल उपाध्याय का नाम लिया. दीन दयाल उपाध्याय की हैसियत सिर्फ इसलिए हैं क्यों कि वो संघ के शुरुआती नेताओं में थे. उनका देश में योगदान सिर्फ इतना है कि वो हिंदू वादी विचारधारा को बढ़ाने वाले कुछ अखबारों से जुड़े थे.

उन्हें संघ शहीद मानता है. शहीद इसलिए नहीं कि वो देश के लिए लड़ते हुए मरे. इसलिए भी नहीं कि किसी प्रदर्शन में गोलियों का सामना करते हुए उनकी मौत हुई. उनकी मौत का कारण और शहादत को आपस में जोड़ना अपने आप में हास्यास्पद है. मुगल सराय स्टेशन से भाषण देकर लौट रहे थे. ट्रेन से गिर गए और मारे गए. इस मौत की सीबीआई जांच भी कराई गई क्योंकि संघ इसे साजिश कहना चाहती थी. सीबीआई जांच में भी लूटपाट की घटना में ट्रेन से गिरने का कारण ही सामने आया लेकिन संघ परिवार चीज़ों को साजिश का रंग देने और कल्पनाओं को बेच लेने के लिए पहले ही बदनाम है. वो आजतक उसे साजिश मानती है और दीन दयाल उपाध्याय को ट्रेन से कटकर मर जान के कारण शहीद.

लेकिन महामहिम रामनाथ कोविंद किसी संघ परिवार के राष्ट्रपति नहीं हैं. वो देश के राष्ट्रपति हैं. देश का इतिहास 1947 में शुरू होता है. मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद नहीं. बार बार संघ परिवार ये जताने की कोशिश करता है जैसे 1947 की आज़ादी झूठी थी. अंग्रेज़ों के खिलाफ संघर्ष करने वाले झूठे थे. जेल में अपनी ज़िंदगी के सबसे अहम साल बिता देने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के लाल नहीं थे. लेकिन ट्रेन से कटकर शहीद होने वाले भारत मां के महान सपूत थे.

कांग्रेस के आनंद शर्मा  का एतराज जायज है कि राष्ट्रपिता गांधी के समकक्ष जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय को नए राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में खड़ा किया, ये ठीक नहीं है. देश की जनता को अच्छा नहीं लगेगा.

दरअसल, शपथ ग्रहण के दौरान संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जब भाषण देना शुरू किया तो उन्होंने देश में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मूल मंत्र का जिक्र किया. इसके बाद अपने संघर्ष की कहानी भी बयां की. इत तरह की कहानियां बयान करने वाली चुनावी भाषण बाज़ी की भी अपेक्षा राष्ट्रपति से नही की जाती है.

उन्होंने कहा ”मैं अब राजेंद्र प्रसाद, राधाकृष्णन, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब दा की विरासत को आगे बढ़ा रहा हूं. अब हमें आजादी में मिले 70 साल पूरे हो रहे हैं, ये सदी भारत की ही सदी होगी.”

महात्मा गांधी के साथ लिया दीनदयाल उपाध्याय का नाम

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ये भी कहा ”वर्ष 2022 में देश अपनी आजादी के 75 साल पूरा कर रहा है, हमें इसकी तैयारी करनी चाहिए. हमें तेजी से विकसित होने वाली मजबूत अर्थव्यवस्था, शिक्षित समाज का निर्माण करना होगा. इसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय ने की थी.”