विजय दशमी पर मोदी के साथ चार बड़े अपशकुन, आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ था

नई दिल्लीः इस विजया दशमी पर जहां संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नरेन्द्र मोदी सरकार की तारीफ की वहीं दो बड़े अपशकुन हुए. वैसे तो वैज्ञानिक समझ की भाषा में ये सिर्फ अंधविश्वास हैं लेकिन मानने वालों के लिए ये बड़े अपशकुन हैं.

विद्वानों का कहना है कि इन्हें छोटा अपशकुन नहीं माना जा सकता. शुभ कार्य में विघ्न पड़ा है. हुआ यूं कि जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रावण पर चलाने के लिए तीर-धनुष उठाया, और धनुष की प्रत्यंचा खीची उसकी कमानी टूट गी. इसकी ईश्वरीय इच्छा के के अनुसाव व्याख्या की जाए तो विचार शास्त्री पंडित अन्मेश ब्रह्मभट्ट का कहना है कि ईश्वर की इच्छा नहीं थी कि मोदी रावण का वध करें. दूसरे शब्दों में मोदी को राम के स्वरूप में शायद कुदरत नहीं देखना चाहती थी.

धनुष टूटना सिर्फ इत्तेफाक भी माना जाए तो भी एक और ऐसा संयोग रामलीला मैदान में हुआ जिससे मोदी के रावण पर तीर चलाने में विघ्न पड़ा. मोदी के पुतला जलाने के थोड़ा ही पहले रावण का पुतला गिर गया. जाहिर बात है कि इसका संकेत भी यही था कि मोदी पुतला न जला सकें. लेकिन आनन फानन में पुतला वापस खड़ा कर दिया गया.

तीसरा अपशकुन ये हुआ कि रावण दहन से पहले कुछ लोग लीला स्थल पर घायल भी हो गए. दरअसल ये लोग पुतले के आसपास ही काम कर रहे थे.

चौथा और सबसे बड़ा अपशकुन खुद मोदी ने किया. उन्होंने भगवान राम की पूजा की और उन्हें तिलक लगाया लेकिन जूते नहीं उतारे. जबकि भगवान के मंदिर तक में जूता पहनकर नहीं घुसा जाता. लेकिन मोदी ने जूता पहनकर भगवान का तिलक किया. ये अनास्था भी किसी अपशकुन से कम नहीं.

मोदी के हाथों जब ये अपशकुन हुआ तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वहां मौजूद थे. कोई भी मुस्कुराए बगैर न रह सका. देख कर मुस्कुरा उठे। हालत ये थी कि खुद पीएम मोदी को भी हंसी आ गई. इसके बाद मोदी ने हालात को संभाला और बिना धनुष के ही वाण को रावण की ओर उछाल दिया.

श्री धार्मिक रामलीला कमेटी का ये आयोजन बहुत पुराना है और हरसाल यहां वीआईपी आते हैं लेकिन आज तक ऐसा अपशकुन नहीं हुआ.