दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ा को बरबाद हो जाएगी दिल्ली, इसके हैं बड़े साइड इफैक्ट

नई दिल्ली : हो सकता है कि आप चौंक जाएं लेकिन दिल्ली मे मेट्रो चलाने का कोई फायदा नहीं हुआ. दिल्ली इतने साल मेट्रो चलाकर भी वहीं की वहीं खड़ी है. अगर मेट्रो का किराया बढ़ जाता है तो दिल्ली फिर वही पुराने हाल में पहुंच जाएगी. सड़कों पर वैसा ही कंजेशन होगा. वैसे ही बसों में लटके हुए लोग दिखेंगे और अंतर सिर्फ इतना आएगा. कि सड़कों पर लंबा चौड़ा मेट्रो का इन्फ्रा स्ट्रक्चर और जुड़ जाएगा.

जिन्हें याद नहीं है उन्हें बता दें कि जब दिल्ली में मेट्रो शुरू हुई थी तो कहा गया था कि ये आने जाने का एक तेज़ रफ्तार माध्यम होगा. सस्ता होगा और लोग सड़कों से यात्रा करने की जगह इसको अपनाएंगे जिससे दिल्ली का बोझ कम होगा.

कुछ सालों मेट्रो ने ऐसा किया भी लेकिन पिछले दो तीन सालों में मेट्रो का किराया जिस तेज़ी से बढया जा रहा है उससे फिर से लोग पुराने तरीकों पर लौटने लगेंगे.

उधर डीएमआरसी के अपने तर्क हैं.दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने शनिवार को कहा कि किराया बढ़ाया जाना जरूरी है. मेट्रो ने कहा कि मेट्रो चलाने की लागत में 105 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। डीएमआरसी ने बताया कि एनर्जी में 105 प्रतिशत, स्टाफ कॉस्ट में 139 प्रतिशत और रिपेयर से जुडे़ कामों में 213 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

डीएमआरसी ने कहा, ‘वर्ल्ड क्लास सर्विस बनाए रखने के लिए, यह जरूरी है कि मेट्रो घाटे में न रहे। इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली मेट्रो ऐक्ट 2002 के तहत किराए में रिवीजन किया जा रहा है।’ इसके अलावा प्रेस रिलीज में कहा गया कि डीएमआरसी ने जापान इंटरनैशनल कॉर्पोरेशन बैंक (JICA) से बड़ा लोन लिया हुआ है और 26 हजार करोड़ का लोन अभी भी बकाया है। (बुलेट ट्रेन के लिए भी जापान ऐसा ही लोन दे रहा है)

मेट्रो कॉर्पोरेशन ने कहा कि कुशलतापूर्वक चलने के बावजूद मेट्रो को 378 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। सरकार को समझना होगा कि जो पैसे वो मेट्रो में खर्च करती है वो दिल्ली के लोगों पर पडने वाले असर से बच भी जाता है. अगर प्रदूषण होता है तो लोगों की सेहत पर सरकार का खर्च बढ़ जाता है. सड़कों पर लागत आतीहै उनका रखरखाव बढ़ता है. लोग झेलते हैं वो अलग से .हाल में मोदी सरकार ने गैस से सब्सिडी हटाई इसके बाद जो लोग वापस चूल्हा जलाना शुरू कर रहे हैं उस्का क्या. पर्यावरण पर सरकार का खऱ्च नहीं बढ़ेगा. लोगों की सेहत पर खर्च नही बढ़ेगा?