2 अक्टूबर पर गांधी जी को ब्लैकआऊट करने की कोशिश, अखबारों से सरकारी विज्ञापन गायब

महात्मा गांधी के नाम पर एनडीए सरकार चाहे जितनी बड़ी बातें करे लेकिन 2 अक्टूबर को अखबारों की रंगत देखकर अंदाज़ा लग जाता है कि मोदी सरकार के लिए महात्मा गांधी कितने महत्वपूर्ण है. दिल्ली के अखबारों में आज गांधी जयंती पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने वाला केन्द्र सरकार का एक भी विज्ञापन मौजूद नहीं है. इक्का दुक्का प्राइवेट कंपनियों ने ज़रूर ऐसे विज्ञापन छापे हैं स्टेट बैंक के विज्ञापन में महात्मा गांधी को दबी छिपी सी श्रद्धांजलि दी गई है जिसमें गांधी जी की फोटो नहीं है.  खादी ग्रामोद्योग आज से एक नयी योजना ला रहा है. उसका विज्ञापन भी अखबारों में छपा हे लेकिन उससे गांधी जी की फोटो गायब है और इसमें गांधी जयंती का जिक्र तक नहीं है. इस संवाददाता ने दिल्ली के कई बड़े अखबारों को छान मारा तो ये हकीकत सामने आई.

इसके उलट अखबारों में कम से कम 5-7 विज्ञापन ऐसे मौजूद हैं जिनमें प्रधानमंत्र मोदी की फोटो बड़ी लगी है. स्वच्छ भारत अभियान में गांधी जी के साथ अगर शास्त्री जी की फोटो है तो नरेन्द्र मोदी की फोटो दोनों महान हस्तियों से ज्यादा अहमियत के साथ लगाई गई है.

शर्मनाक ये है कि प्रवासी भारतीय केन्द्र के उद्घाटन और गंधी जयंती के अवसर पर गांधी एक प्रवासी प्रदर्शनी का जो विज्ञापन अखबार में छपा है उसमें बड़ी बड़ी फोटो प्रधानमंत्र मोदी की है लेकिन गांधी जी का नाम तक नहीं है. न ही गांधी जयंती के उपलक्ष्य में इस कार्यक्रम के होने का जिक्र है.

खादी इंडिया आज से एक्सक्लूसिव सेल्स कैंपेन शुरू कर रही है. आधे पेज का विज्ञापन इसके लिए टाइम्स ऑफ इंडिया में दिया गया है. लेकिन असके विज्ञापन से भी गांधी जी की फोटो गायब है. गांधी जयंती का जिक्र तक नही है. महाराष्ट्र सरकार आपले सरकार पोर्टल लांट कर रही है. इसका दिल्ली के अखबारों में है. मुख्यमंत्र फड़नवीस का फोटो भी है. लेकिन गांधी जयंती के मौके पर हो रहे इस शुभारंभ में गांधी जी का जिक्र तक नहीं है.

इंटरनेशनल बुद्धिस्ठ कॉन्क्लेव का भी बड़ा सा विज्ञापन अखबारों में है.इसमें भी प्रधानमंत्री मोदी की फोटो है. लेकिन गांधी जयंती और महात्मा गांधी को फोटो तो दूर जिक्र तक नहीं है.

सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ उत्तरप्रदेश सरकार का इकलौता विज्ञापन है जिसमें गांधी जी को सम्मानजनक ढंग से दिखाया गया है. इसके अलावा जकुआर, दिल्ली पब्लिक स्कूल और पतंजलि जैसी प्राइवेट कंपनियों के विज्ञापन ज़रूर कमी को थोड़ा बहुत पूरा कर रहे हैं. शायद गांधी जी के प्रति असम्मान को देखते हुए टाइम्स ऑफ इंडिया गांधी जी को सम्मान देते हुए अपनी तरफ से एक पतली पट्टी अंदर के पेज पर लगा दी है.

लेकिन ब़ड़ा सवाल ये है कि क्या महात्मा गांधी के लिए इस तरह का असम्मान जताकर या उनहें ब्लैकआऊट करके उन्हें या उनके देश के प्रति योगदान को कम किया जा सकेगा.

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