‘देशभक्त”मोदी सरकार की रहस्यमय चुप्पी, कश्मीर में दस हज़ार पत्थर बाज़ों से केस वापस

नई दिल्ली : कश्मीर के पत्थरबाज़ों को देश का दुश्मन बताने वाली सरकार की बोलती अब चुनाव के कारण बंद हो गई है. इससे पहले डोकलाम मामले में मोदी सरकार चीन के सामने चिचियाती नज़र आ रही थी. देशभक्तों को जानकर कष्ट होगा कि मेहबूबा मुफ्ती की सरकार 9730 पत्थरबाज़ों से अपने मुकदमे वापस ले रही है. ये वो लोग हैं जिन पर 2008 और 2017 के बीच केस दर्ज कराए गए थे.

जिन लोगों के खिलाफ मामले वापस लिये जाने हैं उसमें पहली बार अपराध करने वाले लोग भी शामिल हैं. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि 1745 मामले वापस लेने की सरकार की कार्रवाई कुछ शर्तों पर निर्भर करेगी. इसके अलावा इन मामलों की जांच करने के लिये गठित एक समिति की सिफारिशों पर आगे की कार्रवाई होगी.

आपको याद होगा कि हाल ही में राजनाथ सिंह की सरकार ने पत्थर बाज़ों पर गोली चलाने के मामले में शोपियां में तैनात फौज़ियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था. इस पर सुब्रमण्यम स्वामी ने एतराज़ जताया था और पूछा था कि रक्षा मंत्री चुप क्यों हैं. मजेदार बात ये है कि सोशल मीडिया पर उछलते रहने वाले संघ समर्थकों ने भी इस मामले में मौन साध लिया है.

विधानसभा में एक सवाल के जवाब में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनकी सरकार ने 4000 से अधिक लोगों को आम माफी देने की सिफारिश की है. ये लोग पिछले दो वर्षों में पथराव जैसी मामूली घटनाओं में शामिल रहे हैं. विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में मुफ्ती ने कहा कि वह पहली बार अपराध में शामिल लोगों के ब्योरे का खुलासा ऐसे लोगों और उनके परिवार की सुरक्षा की वजह से नहीं करेंगी. बहरहाल, उन्होंने कहा कि 2016 और 2017 के बीच 3773 मामले दर्ज किये गए. इनमें 11 हजार 290 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 233 का अब तक पता नहीं लगा है. ये मामला गुपचुप चल रहा था लेकिन विधानसभा में सवाल उठने पर सरकार को जानकारी जाहिर करनी पड़ी.

पत्थरबाजों के सात मामले स्वीकार नहीं किये गए और 1692 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए, जबकि 1841 मामलों में जांच चल रही है. मुफ्ती के पास गृह विभाग भी है. वर्ष 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में काफी अशांति रही. इसमें 85 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2016 में 2904 मामले दर्ज किये गए और 8570 लोगों को पथराव करने की घटनाओं के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया, वहीं 2017 में दर्ज मामलों की संख्या घटकर 869 हो गई और इस संबंध में 2720 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

श्रीनगर से सबसे अधिक गिरफ्तारी

महबूबा ने विधानसभा में जानकारी दी कि 2016 और 2017 के दौरान सबसे अधिक 2330 लोगों को श्रीनगर में गिरफ्तार किया गया. इसी दौरान 2046 लोगों को बारामुला में, 1385 लोगों को पुलवामा में, 1123 लोगों को कुपवाड़ा में, 1118 को अनंतनाग में, 783 को बडगाम में, 714 को गांदेरबल में, 694 को शोपियां में, 548 को बांदीपोरा में, 547 को कुलगाम में, दो को डोडा जिले में गिरफ्तार किया गया था.

जैसे जैसे 2019 आ रहा है सभी सहयोगी संगठन भारतीय जनता पार्टी से दूरी बनाने लगे हैं. शिवसेना झूठ मूठ की आंखें दिखाने में लगी है, चंद्रबाबू नायडू सरकार को अल्टीमेटम दे ही चुके हैं अब मोदी की सबसे अजीज सहयोगी महबूबा मुफ्ती ने सीधे मोदी सरकार को