बयान नहीं मोदी शैली की राजनीति पर तमाचा था, रामदेव को दाढ़ी पकड़कर थप्पड़ भी पड़ा, पढ़िए रिपोर्ट

नई दिल्ली : राम और रहीम के नाम पर देश को बेवकूफ बनाने में लगे नेताओं को आज एक शिया धर्मगुरु ने जो थप्पड़ मारा है वो उनहें सदियों तक याद रहेगा. इस एक बयान में वो ताकत है जो बीजेपी, आरएसएस, विश्वहिंदू परिषद, मुस्लिम लीग, और असदुद्दीन ओवैसी जैसों की राजनीति को तबाह कर सकती है. ये बयान उस सोच को प्रतिविंवित करता है जिस पर अमल किया जाए तो देश स्वर्ग बन सकता है.

राम जन्मभूमि विवाद पर आए शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक के बयान में कहा गया है कि अगर बाबरी मस्जिद पर फैसला मुसलमानों के हक में ना हो तो उन्हें उसे शांतिपूर्वक स्वीकार करना चाहिए और अगर फैसला हक में हो तो भी उस जमीन को खुशी-खुशी हिंदुओं को दे देना चाहिए. यही नहीं उन्होंने कहा कि हमें जमीन जीतने के बजाय दिल जीतने चाहिए.

सादिक के इस बयान पर केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मौलाना साहब ने दिल जीत लिया. लेकिन ये नही बताया कि वो और उनकी पार्टी लोगों का दिल कब जीतने वाली है. उन्होंने कहा कि भगवान राम न हिंदू के हैं और न मुस्लिम के, वह भारत की आत्मा हैं. लेकिन हर्षवर्धन ये बताने से चूक गए कि कि उनके दिल में मस्जिद नमाज़ और मुसलमानों के लिए इज्जत की जगह हिकारत क्यों हैं.

इस कार्यक्रम में योग गुरु बाबा रामदेव और तिब्बत के आध्या्त्मिक गुरू दलाई लामा भी मौजूद थे. वहां दलाई लामा ने बाबा रामदेव को अपने पास बुलाया और उनकी दाड़ी पकड़ ली. इससे पहले रामदेव ने दलाई लामा के पैर छुए. दलाई लामा ने बाबा रामदेव के पेट में भी चपत लगाई.

आपको बता दें कि अयोध्या विवाद में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुवाद के लिए सभी पक्षों को 3 महीने का समय दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी.