बाप रे! बड़ा ही सख्त है जीएसटी कानून, अंग्रेज़ों और जमींदारों के जुल्म भूल जाओगे,

नई दिल्ली: सख्ती से लगान वसूलने के पुराने किस्से अभी भी लोग भूले नहीं हैं. जमींदार अपना टैक्स वसूलने के लिए जुल्म की हर हद पार कर देते थे. वो पूरी जमीन और मकान हड़प लेते थे उसके बावजूद कर्जा बकाया रहता था. अंग्रेजों के बारे में भी यही किस्से मशहूर हैं. जमीदारों और अंग्रेज़ों की टैक्स वसूलने की शैली पर कई फिल्में बन चुकी हैं. लेकिन इन फिल्मों का हकीकत में पार्ट टू आने वाले दिनों में हिंदुस्तान देखेगा. अब जमींदार जेटली ने केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर(GST) कानून में इतने कड़े प्रावधान किए हैं कि लोग अंग्रेज़ों और जमींदारों के किस्से भूल जाएंगे.

इन प्रावधानों के तहत जिस कारोबारी पर जीएसटी बकाया होगा,  उसकी उसके रुपये, पैसे, ज़मीन, जायदाद, धन दौलत और घरवार पर पहला हक सरकार के कर वसूली विभाग यानी जीएसटी अथॉरिटी का होगा. यानी अगर उसे किसी को उधार देने हैं या बैंक का कर्ज भी चुकाना है तो वो भी जीएसटी चुकाने के बाद बचे हुए पैसे से ही चुकाया जा सकेगा. इतना ही नहीं अगर उस कारोबारी को कहीं से कोई पेमेंन्ट मिलने वाली है तो वो भी जीएसटी अथॉरिटी जब्त कर लेगी. यहां तक कि बीमा की रकम पर भी जीएसटी अथॉरिटी का हक होगा.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को लोक सभा में केंद्रीय जीएसटी विधेयक, 2017 पेश किया. इसी विधेयक जीएसटी वसूली के संबंध में ऐसे कड़े प्रावधान किए गए हैं. सीजीएसटी की धारा 79 के अनुसार अगर किसी कारोबारी पर जीएसटी बकाया है तो उस व्यक्ति के पोस्ट ऑफिस और बैंक खाते में जमा धनराशि तथा बीमा कंपनी से मिलने वाली राशि से जीएसटी वसूला जा सकेगा. जीएसटी अधिकारी संबंधित वित्तीय कंपनी को निर्देश दे सकेगा जिसके बाद उक्त धनराशि सरकार को जीएसटी के रूप में मिल सकेगी.

जिस व्यक्ति पर कर बकाया है, अगर वह अपनी संपत्ति किसी और को बेच देता है, तो सीजीएसटी कानून की धारा 81 के तहत यह बिक्री निरस्त मानी जाएगी. और संपत्ति सरकार जब्त कर लेगी. जिसने संपत्ति खरीदी है वो टापता रह जाएगा. बेचारा कैसे जाने कि जिससे संपत्ति खरीद रहा है उसके उपर जीएसटी बकाया है या नहीं.

जीएसटी पर लोक सभा में चर्चा से एक दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भाजपा सांसदों को जीएसटी के मुख्य प्रावधानों के बारे में जानकारी दी. लोक सभा बुधवार को जीएसटी विधेयकों पर चर्चा करेगी. जेटली ने सोमवार को ही जीएसटी के लिए जरूरी चार विधेयक लोक सभा में पेश किए थे. सरकार इन विधेयकों को बजट सत्र में ही लोक सभा और राज्य सभा से पारित कराना चाहती है.

मकान के किराए पर लगेगा जीएसटी

एक जुलाई से प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर लागू होने पर मकान किराए पर देने और निर्माणाधीन मकान खरीदने के लिए चुकायी जा रही ईएमआई पर भी जीएसटी लगेगा. हालांकि जमीन और भवनों की बिक्री जीएसटी के दायरे से बाहर रहेगी. जमीन की खरीद पर पूर्व की तरह ही स्टांप ड्यूटी का भुगतान जारी रहेगा. हालांकि बिजली को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है.

सरकार एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू करना चाहती है. जीएसटी के लागू होने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा और वैट सहित केंद्र और राज्यों के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे. जीएसटी लागू होने पर जमीन या भवन पट्टे पर देने पर जीएसटी लगेगा. रिहायशी और व्यवसायिक किसी भी प्रकार के इस्तेमाल के लिए भवन किराए पर लेने पर जीएसटी का भुगतान करना होगा.