GST से 30 फीसदी बढ़ जाएगा महीने का खर्च, सिर्फ सरकारों की होगी मौज

नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने को लेकर हर तरफ उत्साह है खास तौर पर सरकार में भले ही वो केन्द्र की सरकार हो या राज्यों की सरकारें. जीएसटी पर सब खुश हैं. इसकी वजह है सरकारों की आमदनी में अंधाधुंध बढोतरी. इससे वो ज्यादा से ज्यादा अफसरों को नौकरी पर रख सकेंगीं. सरकारी खर्चों में कटौती नहीं करनी पड़ेगी और जैसे चाहेंगी इस पैसे को लगाएंगी. लेकिन जनता की ज़िंदगी इससे बेहद मुश्किल होने वाली है.विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे cost of living बढ़ेगी.
जानकारों के मुताबिक भारत में अब तक करीब 93 फीसदी काम धंधे असंगठित क्षेत्र में हो रहे हैं. छोटे दुकानदार अपना सामान एमआरपी से भी नीचे बेच देते हैं इसी सी ग्राहक भी उनके पास आते हैं लेकिन आने वाले समय में एमआरपी तो बढ़ ही जाएगी उनसे कम पर सामान बेचना मुमकिन ही नहीं होगा. इसकी वजह साफ है कि दुकानदार सेल्स टैक्स जैसे स्थानीय टैक्स नहीं बचा सकेंगे अबतक वो इस तरह की टैक्स बचत का फायदा ग्राहकों को देते थे. नया कानून आने के बाद करीब 30 फीसदी तक चीजों के दाम बढने की आशंका है. क्योंकि कर सामान बनते समय ही वसूल लिया जाएगा. ये अलग बात है कि बड़े कॉर्पोरेट हाऊस और निर्माता अगर चोरी करेंगे तो इन दुकानदारों के हिस्से का भी कर चोरी कर लेंगे. वैसे भी इन कंपनियों का इस मामले में रिकॉर्ड पाक साफ नहीं रहा है.
सर्विस टैक्स की मार
अभी लिया जा रहा 15 फीसदी सर्विस टैक्स बढ़कर 18 फीसदी हो जाएगा, जिससे आपकी जेब पर मार पड़ना तय है. खुद राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने एक साक्षात्कार माना है- ” सेवा क्षेत्र के लिए करों की मानक दर 18 फीसदी तक बढ़ सकती है.” हालांकि वर्तमान में जिन क्षेत्रों को इससे छूट मिली है वह जारी रह सकती है, जिसमें स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और कृषि क्षेत्र शामिल हैं. उन्होंने कहा, “वर्तमान में जिन क्षेत्रों को छूट मिली है, हम उन्हें जारी रखने की कोशिश करेंगे. हमने परिषद के समक्ष इसकी सिफारिश की है जो इस पर फैसला करेगी. संभावना है कि वे इसे स्वीकार करेंगे.”
वर्तमान में सेवा क्षेत्र पर 14 फीसदी कर के साथ दो अलग-अलग सेस, स्वच्छ भारत सेस और कृषि कल्याण सेस, लगाया जाता है जिनकी दरें आधा-आधा फीसदी हैं. इस तरह सेवा क्षेत्र को 15 फीसदी कर चुकाना होता है. अधिया ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि हालांकि जिनकी आय 20 लाख रुपये सालाना से कम है, वे जीएसटी के तहत नहीं आएंगे और उन्हें कोई सर्विस टैक्स नहीं देना होगा. वर्तमान में 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर सेवा कर चुकाना होता है.
उन्होंने यह भी कहा कि जिन सेवाओं पर फिलहाल 15 फीसदी से कम सेवा कर लगाया जा रहा है, उसे जारी रखने की कोशिश की जाएगी. राजस्व सचिव ने यह भी कहा कि चूंकि पेट्रोल और पेट्रोलियम पदार्थो को जीएसटी के अंतर्गत शून्य शुल्क में रखा गया है, ऐसे में परिवहन पर 5 फीसदी कर लगाया जा सकता है. जीएसटी परिषद ने करों के चार स्लैब तय किए हैं, 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी. इसके अलावा एक शून्य फीसदी का स्लैब भी है. वर्तमान में 60 सेवाओं को सेवा कर से छूट मिली है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और धार्मिक यात्रा शामिल है.