मायावती ने बताया सबसे बड़ा सीक्रेट, अब तक छिपाकर रखी थी पढ़कर भाषण देने की वजह

लखनऊ: मायावती हमेशा पढ़कर ही भाषण देती हैं. इसे लेकर वो अक्सर निशाना बनती रहती हैं. कहा जाता है कि मायावती भाषण देना नहीं जानतीं कोई कहता है कि दो शब्द नहीं बोल सकतीं विपक्षी दलों की तरफ से अक्सर मायावती पर पढ़कर भाषण देने के लिए निशाना साधा जाता रहा है. मायावती ने इसकी वजह बताते हुए कहा, ‘मौखिक भाषण दूं तो जोर से बोलना पड़ता है, लेकिन डॉक्टरों ने ऐसा नहीं करने की सलाह दी है.’ डॉ. आंबेडकर की 126वीं जन्मतिथि के कार्यक्रम में बालते हुए मायावती ने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि बीजेपी और ईवीएम से छेड़छाड़ के खिलाफ संघर्ष के लिए बीएसपी को बीजेपी विरोधी दलों की मदद लेने में कोई आपत्ति नहीं है. मायावती ने आरोप लगाया कि BJP ने उत्तर प्रदेश की 403 में से 250 सीटों पर EVM से छेड़छाड़ की.
‘यूपी को नहीं बनने दिया पाकिस्तान’
मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों पर सफाई देते हुए मायावती ने कहा, ‘2007 में पूर्ण बहुमत की BSP सरकार में कई मुस्लिम MLA भी थे, लेकिन हमने यूपी को पाकिस्तान नहीं बनने दिया. मैं दलित, पिछड़े, अपर कास्ट के लोगों को यकीन दिलाना चाहती हूं कि आगे भी बीएसपी सरकार बनी तो यूपी को पाकिस्तान नहीं बनने दूंगी.’
उनका कहना है कि जब उन्होंने बीजेपी के साथ सरकार बनाई तब भी मुस्लिम विधायकों का पूरा समर्थन था. अपर कास्ट और पिछड़ी कास्ट के लोगों को इनसे सीखना चाहिए. बीजेपी वाले भ्रम फैला रहे हैं कि बीएसपी को मजबूत करने के लिए उन्हें हर विधानसभा तक जाना चाहिए. मायावती ने कहा कि यह बीजेपी की साजिश है ताकि वह अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार पर काम न कर पाएं.
भाई को बनाया पार्टी उपाध्यक्ष
इस दौरान मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी उपाध्यक्ष बनाने का ऐलान किया. मायावती ने कहा कि आनंद पार्टी को आगे ले जाने के लिए काम करेंगे. मायावती ने कहा कि वह हमेशा बगैर स्वार्थ के पार्टी के लिए कार्य करेंगे और कभी भी सांसद, विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे.
BJP को रोकने के लिए विपक्ष की कोशिश
दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव के बाद तमाम नेताओं ने विपक्षी दलों को एकजुट होने की अपील की है. विपक्षी एकता की कोशिश में नीतीश कुमार और शरद पवार दोनों क्षेत्रीय नेताओं से लगातार बात भी करते रहे हैं. अखिलेश यादव ने भी UP चुनाव के परिणाम आने से पहले ही जरूरत पड़ने पर मायावती से हाथ मिलाने से परहेज न करने के संकेत दे दिये थे.
विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी पहल की थी. कांग्रेस के सीनियर नेताओं के साथ ममता बनर्जी ने मीटिंग की थी. पार्टी के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल से ममता की मुलाकात हुई. ममता बनर्जी ने अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी. सूत्रों के अनुसार अखिलेश से भी उन्होंने विपक्षी एकता पर बात करते हुए मायावती से भी बात करने सुझाव रखा था.
ममता ने इससे पहले NCP नेता प्रफुल्ल पटेल और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी मुलाकात की थी. नवीन पटनायक ने पहली बार दिल्ली में विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की थी. इससे पहले ममता बनर्जी ने अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की थी. बनर्जी ने UP चुनाव परिणाम के बाद भी विपक्षी एकता की वकालत की थी.