नोटबंदी से उद्योगों पर चोट, औद्योगिक उत्पादन पर असर

नई दिल्ली: नोटबंदी का असर  सिर्फ पेट्रोल के दामों पर नही पड़ा है बल्कि दिसंबर आते आते औद्योगिक  उत्पादन के सरकारी आंकड़ों और कार सेल्स डेटा में जबरदस्त गिरावट आई. आंकड़ों से पता चला कि नवंबर में नोटबंदी का उतना भीषण असर नहीं हुआ, जैसा डर था. लेकिन दिसंबर में तस्वीर बिगड़ने का संकेत मिल रहा है.  इस अवधि के दो आंकड़े सामने आए हैं.

एक बता रहा है कि दिसंबर में मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार सालभर में पहली बार घट गई तो आंकड़ों का दूसरा सेट निवेशकों के मन में बैठी गहरी चिंता का पता दे रहा है.

सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चला कि नवंबर में कोर सेक्टर आउटपुट 4.9% बढ़ा. स्टील और बिजली उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी के कारण ऐसा हुआ. हालांकि अक्टूबर में दर्ज 6.6% की ग्रोथ के मुकाबले रफ्तार घट गई. नवंबर में दिखी बढ़ोतरी का एक कारण बेस इफेक्ट भी रहा. नवंबर 2015 में कोर सेक्टर ग्रोथ 0.6% थी.

कोल, क्रूड ऑइल, नैचरल गैस, रिफाइनरी प्रॉडक्ट्स, फर्टिलाइजर, स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी सहित कोर सेक्टर की आठ इंडस्ट्रीज का इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन में 38% वेटेज है. इससे अंदाजा लग रहा है कि नोटबंदी से नवंबर में ओवरऑल फैक्ट्री आउटपुट पर बड़ा असर नहीं पड़ा.

हालांकि नवंबर में सीमेंट (6.2%) और स्टील (16.9%) उत्पादन की ग्रोथ अक्टूबर के मुकाबले काफी कम रही.

कोटक महिंद्रा बैंक की इकॉनमिस्ट उपासना भारद्वाज ने कहा, ‘कंस्ट्रक्शन में सुस्ती दिख रही है. इसका असर स्टील और सीमेंट पर पड़ने लगा है.

इसका एक कारण नोटबंदी है.’ रेटिंग्स फर्म इकरा की प्रिंसिपल इकॉनमिस्ट अदिति नायर ने कहा, ‘नोटबंदी का असर विभिन्न सेक्टरों में दिखने लगा है और दिसंबर में कोर सेक्टर की ग्रोथ नवंबर के मुकाबले कम से कम 2.5 पर्सेंटेज पॉइंट्स कम रह सकती है.’

सोमवार को जारी दो अलग-अलग डेटा से भी दिसंबर में नोटबंदी की चोट कहीं ज्यादा लगने का पता चला.

इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स दिसंबर में गिरकर 49.6 पर आ गया, जो नवंबर में 52.3 पर था. यह पिछले 12 महीनों में सुस्ती का पहला मौका रहा. यह नवंबर 2008 के बाद इस इंडेक्स में सबसे बड़ी मासिक गिरावट भी है, जब ग्लोबल फाइनैंशल क्राइसिस सामने आया था.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की ओर से जारी डेटा से पता चला कि दिसंबर क्वॉर्टर में 1.25 लाख करोड़ रुपये के ही नए निवेश प्रस्ताव आए, जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में इसके पहले के नौ तिमाहियों में नए निवेश प्रस्ताव प्रति तिमाही औसतन 2.36 लाख करोड़ रुपये के थे. CMIE के एमडी महेश व्यास ने कहा, ‘आंकड़ों से पता चलता है कि नोटबंदी ने दिसंबर 2016 क्वॉर्टर के दौरान नए निवेश प्रस्तावों की घोषणा पर असर डाला.’ ctsy-economic times