चीनी माल के आयात पर ये हैं सबसे ओरिजिनल विचार, बहिस्कार या इंपोर्ट बैन से काम नहीं होगा

मित्रो कभी आपने सोचा कि
चीनी माल हम तक आता कैसे है ?
क्या सरकार लाती है ?
नहीं.
क्या हम कहते हैं कि लाओ ?
नहीं
क्या चीनी सरकार भेजती है ?
नहीं.
हो सकता है 10 बीस फीसदी चीनी माल अच्छे दाम के चक्कर में हम खुद पसंद करते हों और इस चक्कर में वो आ जाता है. लेकिन असली चीनी माल की आमद मल्टी नेशनल कंपनियां करती हैं. सोनी, एप्पल, सैमसंग, एलजी समेत लाखों कंपनियां आप ऐसी किसी मल्टी नेशनल को ढूंढ भी नहीं सकते जो भारत को चीन का माल चिपका न रही हों. इसका बहिस्कार कैसे करेंगे. यहांतक कि कीटनाशक और दूसरा सामान भी वहीं से आ रहा है.

इसके लिए तो सरकार को ही नियम बनाना होगा. क्यों न सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर बंदिशें लगाती .हम भारत दुनिया की उभरती अर्थ व्यवस्था हैं और लगातार बढ़ती उपभोक्ता आबादी हैं. अगर हमारी सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों से कहती है कि 60 फीसदी से ज्यादा माल भारत में बनाना होगा वर्ना बेचने नहीं देंगे. हिम्मत नहीं है कि कोई कंपनी इनकार कर जाए. लेकिन इसके लिए दृढृ इच्छा शक्ति चाहिए. मोह माया से उबरना होगा.

अब समय आ गया है कि सरकार ऐसे कदम उठाए. इससे भारत में रोज़गार बढ़ेगा. चीन का 20 प्रतिशत रोजगार भारत शिफ्ट हो जाएगा. पैसे आएंगे तो लोग माल खरीदेंगे. और माल बिकेगा तो और बनेगा. हम 10 साल में चीन से आगे निकल सकते हैं. लेकिन इसके लिए ताकतवर सरकार चाहिए.

ये भाषण मोदी जी अगर विपक्ष में होते तो ये भाषण बेचकर करोडो़ं तालियां कमा चुके होते. कई मित्र अबतक इसे बहुत गंभीर आईडिया ही मान रहे होंगे. इस पर न तो कोई सरकार अमल कर सकती है न संभव है. लेकिन ऐसे हज़ारों शेखचिल्ली नुमा भाषण देश की सरकार इधर से उधर कर सकते हैं.

(फेसबुक पर पत्रकार गिरिजेश वशिष्ठ का पोस्ट)