नवाज शरीफ को आज नींद नहीं आएगी, समझिए इमाम बुखारी की चिट्ठी में छिपे 3 बड़े संदेश

नई दिल्ली : दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को चिट्ठी लिखकर सनसनी फैला दी है. आम तौर पर भड़काऊ बयान देने वाले इमाम ने इस बार बुद्धिमानी का परिचय दिया है. इमाम ने अपनी चिट्ठी में पाकिस्तान, कश्मीर और मुसलमानों के लिए तीन बातें लिखी हैं और तीनों का ही मतलब गहरा और आम भारतीयों और कश्मीरियों के लिए बेहद हितकारी है.

1. नवाज़ से तनाव खत्म करने की अपील करना
नवाज शरीफ से तनाव खत्म करने की अपील का मतलब है ये संदेश देना कि तनाव के पीछे पाकिस्तान की भूमिका है और पाकिस्तान चाहे तो अपने आतंकियों को शांत होने को कह सकता है. इमाम की चिट्ठई पर पाकिस्तान की हालत सांप छछूंदर जैसी है. वो न तो निगल सकता न उगल सकता. अगर वो कहता है कि ये भारत का आंतरिक मामला है तो वो कश्मीर को भारत का अंग मानने को मजबूर होगा. अगर पाकिस्तान बातचीत के लिए हां करता है तो वो ये स्वीकार करेगा कि पाकिस्तान ही आतंकवाद का आका है.

2. कश्मीर के लोग भय के माहौल में जी रहे हैं.
बुखारी ने लिखा है कि शांति स्थापित करने के लिए हमें हरसंभव प्रयास करने होंगे. कश्मीर के लोग डर के माहौल में जी रहे हैं और असहाय महसूस कर रहे हैं. शांति की उम्मीद भरा उनका सपना टूट गया है. धरती का स्वर्ग, जोकि खुशनुमा जिंदगी के लिए जाना जाता था आज हजारों लोगों के आंसूओं की घाटी बन गया है. एके-47 की छाया में जिंदगी खूनी हो गई है. यानी सीधे सीधे इमाम ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की हरकतों के कारण कश्मीर में लोगों की ज़िंदगी दोज़ख बन गई है. इसके ज़िम्मेदार खुद नवाज है और वो मुसलमानों की तकलीफ बढ़ाने का काम कर रहे हैं.

3. बंदूक से हल नहीं निकलेगा
बुखारी ने शरीफ को चेताया कि कश्मीर समस्या का समाधान बंदूक और पत्थरबाजी से नहीं हो सकता. समस्या के हल के लिए बातचीत की पहल करनी ही होगी. बड़े मुद्दों पर बातचीत दोनों देशों के हित में है और इसके लिए रणनीति बनानी होगी. ये संदेश कश्मीर के उन लोगों के लिए हैं जो हिंसक संघर्ष में अपनी स्वतंत्रता की बात सोचते हैं. ये संदेश साफ कहता है कि बंदूक से कुछ नहीं बदलेगा पत्थर से नहीं बातचीत से ही आपकी ज़िंदगी बदलेगी इसलिए रास्ते पर आ जाओ.

इससे पहले इमाम ने हमेशा भड़काने वाले काम ही किए हैं. वो आग लगाऊ बयान देते रहे हैं . बड़ी संख्या में मुसलमान उन्हें इसी वजह से आरएसएस का पिट्ठू मानते रहे हैं. क्योंकि इमाम के बयान हमेशा संघको फायदा देने वाले होते हैं. लेकिन ये चिट्ठी थोड़ी मैच्योर जान पड़ती है. एक बात और भी है . धार्मिक नेता के तौर पर अहमद बुखारी अब भी दो देश वाले बंटवारे को मानने को तैयार नहीं होते. वो आज भी खुद को अखंड भारत का शाही इमाम मानते हैं इसीलिए पाकिस्तान को भी नसीहतें देते रहतेहैं. जो भी हो इस बार समझदारी दिखाई गई है .उम्मीद की जाती है आगे भी दिमाग का इस्तेमाल करते रहेंगे.