तलवार दंपत्ति की रिहाई के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरुषि हत्याकांड मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के राजेश तलवार और नुपूर तलवार को बरी किए जाने के फैसले को सीबीआई ने गुरुवार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट दलील दी है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा राजेश और नूपुर तलवार को निर्दोष साबित करने का जो फैसला था, उसे कई मायनों में गलत साबित किया जा सकता है.

सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में कई खामियां हैं. सीबीआई ने कहा कि जिन परिस्थितिजन सबूतों के आधार पर निचली अदालत ने फैसला दिया था उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. सीबीआई ने कहा कि इस तरह के मर्डर केस में वो अहम सबूत होते हैं. जिन गवाहों के बयानों पर सीबीआई ने भरोसा नहीं किया, हाईकोर्ट ने उन्हीं की बात मानी. जिन पर सीबीआई ने भरोसा किया, हाईकोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया.

बता दें कि 12 अक्टूबर को इलाहबाद उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा ने तलवार दंपति को संदेह का लाभ देते हुए उनकी 14 वर्षीय बेटी और नौकर हेमराज की हत्या में बरी कर दिया था. दोनों की हत्या नोएडा के जलवायु विहार इलाके में 16 मई 2008 को की गई थी.

इलाहबाद उच्च न्यायालय ने गाजियाबाद की सीबीआई अदालत का 26 नवंबर 2013 को तलवार दंपति को उम्रकैद का फैसला सुनाने के फैसले को पलट दिया था.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने राजेश तलवार पर उसकी बेटी की हत्या का आरोप लगाया था. राजेश तलवार को 23 मई 2008 को गिरफ्तार किया गया था. बाद में 31 मई 2008 को सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया और शुरुआत में आरुषि के माता-पिता को बरी कर दिया, फिर बाद में दोनों को हत्याओं के लिए इन्हें दोषी ठहराया.