जानिए प्रदूषण से दिल्ली को बचाने में अड़ंगा कौन डाल रहा है

नई दिल्ली: दिल्ली से प्रदूषण दूर किसी के पिता भी नहीं कर सकते. वजह है यहां की राजनीति. मेट्रो का किराया बढ़ाया गया. इसका विरोध भी हुआ लेकिन किसी ने नहीं सोचा कि मेट्रो महंगी होगी तो डीजल जलेगा. उस वक्त इस मुद्दे को उठाया भी गया लेकिन कुछ नहीं हुआ.

पंजाब में पराली या पुआल जो कहें जलाने की बात आई तो पंजाब के सीएम बोले पैसे चाहिए तब किसानों को मना करेंगे. आप के मंत्री जी पुआल जलाने पहुंच गए. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हम पैसे नहीं दे सकते किसानों को पहले ही काफी पैसे दे चुके हैं. पंजाब के सीएम किसानों के कर्ज माफ कर चुके हैं तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए यानी मामला बकैती में खत्म,

दिल्ली में कंस्ट्रक्शन को 80 फीसदी प्रदूषण का कारण माना गया. लेकिन सरकारों को कंस्ट्रक्शन से विशेष प्रेम हैं. हर ऊचे आदमी ने रियल स्टेट में पैसा लगाया हुआ है. अजय माकन मंत्री थे तो कहते थे कि उंची इमारते बननी चाहिए. वर्टिकल डवलपमेंट जैसे शब्द दिए गए. कठपुतली कॉलोनी के लोगों को हटाकर जमीन रहेजा बिल्डर को दी जा रही है. किसी बिल्डर को चाहे वो नोएडा का हो गाज़ियाबाद का फरीदाबाद का हो या गुड़गांव का किसी तरह की प्रदूषण रोधी गतिविधि करने के लिए बाध्य नहीं किया जाता.

इमारतें बनना इस प्रदूषण के बीच भी नहीं रुका, और तो और एमसीडी ने अतिक्रमण हटाओ अभियान छेड़ दिया. कई जगह इमारतें बारूद से गिराई गईं. भाई लोगों को क्या लेना देना. हां निगम के नेताओं के बयान लगातार ज़ारी है. उनका निशाना दिल्ली सरकार है.

अब आई बात कि आसमान से हैलीकॉप्टर के ज़रिए बरसात की जाए. केन्द्र सरकार ने इसका मज़ाक उड़ा दिया कहा कि हम इजाजत नहीं दे सकते.

सरकार को कुछ करके दिखाने की हुड़क हो रही थी. ऑड ईवन लागू कर दिया . अब एनजीटी कह रही है क्यों किया. किससे पूछकर किया. इससे तो कुछ नहीं होता. केन्द्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री ने कह दिया कि ये तुगलकी फरमान है. खुद केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री विदेश यात्रापर थे लौटते ही दिल्ली से बाहर चले गए.

यानी एक तो कोई कुछ करेगा नहीं. एक करेगा तो दूसरा टांग खींचेगा. तीसरा अड़ंगे लगाएगा. इस बकवास के बीच तीन दिन निकल गए हैं दो दिन बाद खुद ही थोड़ा प्रदूषण खत्म हो जाएगा. फिर वही हाल . बसों की खरीदारी नहीं होगी. मेट्रो महंगी कर दी जाएगी. गैस से सब्सिडी हटा ही दी गई है, लोग लकड़ियां जलाएंगे. मेट्रो का किराया बढता रहेगा.

नेता, एनजीटी, दिल्ली हाईकोर्ट, उपराज्यपाल, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तरह तरह के विचार आदेश निर्देश और डाट फटकार आते रहेंगे.

मौके का फायदा उठाकर कार बेचने वाली कंपनियां सरकारों को सेट करके पुरानी कारों पर रोक लगवा देंगी. एयर प्यूरी फायर का कारोबार बढ़ेगा. पहले सरकारें साफ पानी देने में नाकाम रहीं तो वाटर प्यूरीफायर का कारोबार बना, अब हवा के प्यूरीफायर वाले नोट छापेंगे.

ओला उबर जैसी कंपनियों की कारें सड़कों पर लगातार बढ़ रही हैं. उन पर न तो पार्किंग की कोई अनिवार्यता है न किसी को ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की चिंता. बयान देते रहो कमीशन खोरी करते रहो . उल्लू बनाते रहो लोगों को ज़हर की मार मारते रहो. अकेले 2015 में देश में प्रदूषण से पच्चील लाख लोग मारे गए थे. 2017 में 50 लाख हो जाएंगे किसे फर्क पड़ता है.

(गिरिजेश वशिष्ठ के फेसबुक पेज से)