जीएसटी के नये रेट तो जान लिए, ये नये नियम भी समझ लें

गुवाहाटी: जीएसटी में लोग टैक्स स्लैब बदलने की बातें तो कर रहे हैं लेकिन नियमों के बदलाव इसमें कही खो गए. दरअसल जीएसटी परिषद ने शुक्रवार को कारोबारियों को राहत प्रदान करते हुए रिटर्न फाइलिंग के नियमों को भी सरल बनाया बै. इसके साथ-साथ देरी से रिटर्न फाइलिंग करने पर लगने वाले जुर्माने को भी कम किया गया है. अब, कारोबारियों को मार्च तक सरलीकृत प्रारभिंक जीएसटी-3बी रिटर्न दाखिल करना होगा. मतलब चुनाव के कारण ही सही अब सरकार ने उन गलतियों को मानना शुरू कर दिया है जिन पर वो पहले अड़ियल बनी हुई थी.

हालांकि  मार्च 2018 तक बिक्री और खरीदारी के चालान का मासिक मिलान जारी रहेगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने उन व्यवसायों के लिए जीएसटी-3बी फॉर्म को सरलीकृत बनाने का निर्णय लिया है, जिन पर शून्य कर देनदारी दायित्व है या चालान में फाइल करने का कोई लेन-देन नहीं है.

जीएसटीएन पोर्टल पर दाखिल होने वाले कारोबारों में से 40 प्रतिशत कारोबारों पर कर देयता शून्य है. इसके साथ ही जीएसटी परिषद ने देरी में रिटर्न दाखिल करने वालों पर लगने वाले जुर्माने को भी कम किया है. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि देरी से जीएसटी दाखिल करने पर शून्य देनदारी वाले करदाताओं पर जुर्माना 200 रुपये से घटाकर 20 रुपये प्रतिदिन किया गया.

उद्योग जगत ने जीएसटी घटाने का स्वागत किया

उद्योग एवं व्यापार जगत ने विभिन्न प्रकार की वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें घटाए जाने के फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जाहिर कि है इससे उपभोक्ताओं और उद्योग धंधा करने वालों को राहत मिलेगी, बाजार में मांग बढ़ेगी और कर व्यवस्था के सरल होने से इकाइयां इसको अपनाने के लिए प्रोत्साहित होंगी.

उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, “एकमुश्त कर योजना के तहत कारोबार की सीमा को ऊंचा करने से छोटे व्यवसायियों को बड़ी राहत होगी.” उन्होंने कहा कि आज के परिवर्तनों के परिणाम अगले एक-दो महीनों में देखने को मिलेंगे.

असंगठित क्षेत्र के खुदरा व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन (कैट) ने एक बयान में कहा कि उपभोक्ताओं और कारोबारियों को दी गई राहत पासा पलटने वाली है, इससे कर प्रणाली आसान होगी और इकाइयां इसको अपनाने को प्रोत्साहित होंगी. वहीं, सीमेंट उद्योग से जुड़े संगठन ने जीएसटी परिषद द्वारा इस उद्योग को 28 प्रतिशत की उच्चतम दर के स्लैब में बनाए रखने पर निराशा जाहिर की है.