दिवाली पर चलाए बम तो घुट सकता है दम, त्यौहार की खुशी में न हो गम

नई दिल्ली :  ज्यादा हिंदू मुसलमान के चक्कर में अगर रहे तो हो सकता है कि दिल्ली में कई लोगों की ये दिवाली आखिरी दिवाली बन जाए. ये हो सकता है लोगों की जान न जाए लेकिन वो कम से कम मौत को नज़दीक से ज़रूर देख लेंगे. इस बार दिवाली पर हवा भयंकर ज़हरीली हो चुकी है. पिछले दो दिनों से दिल्ली में कई जगहों पर हवा में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब है. यानी दिल्ली में प्रदूषण का ज़हर पांच गुना हो गया है. ये प्रदूषण दमा के गंभीर रोगियों के प्राण तक ले सकता है. पिछले साल दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर दमघोंटू स्मॉग की चपेट में आ गया था और 5 दिन तक धूप के दर्शन नहीं हुए थे.

एक्सपर्ट्स के अनुसार आने वाले दो-तीन दिनों में प्रदूषण के स्तर में सुधार होने की संभावना भी नहीं दिख रही है. स्मॉग की चादर इस बीच सुबह के समय कुछ गहरी दिखाई देने लगी है. सुबह जो लोग वॉक पर निकल रहे हैं, वह भी परेशान हो रहे हैं.

पांच गुना तक अधिक जहरीली हवा: इस समय दिल्ली के कई क्षेत्र में हवा सामान्य से 5 गुना तक अधिक प्रदूषित चल रही है. खास तौर से पीएम 2.5 का बढ़ता स्तर इस समय चिंताजनक बना हुआ है. पीतमपुरा में 311, दिल्ली यूनिवर्सिटी में 329, धीरपुर में 215, मथुरा रोड पर 305, एयरपोर्ट पर 228, लोधी रोड पर 225,आया नगर में 226, गुड़गांव में 245 और नोएडा में 204 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा.

नव भारत टाइम्स की रिपोर्ट के  मुताबिक, के डीजी डॉ. अजय माथुर ने बताया कि दिवाली पर दमघोटू पल्यूशन को कम करने के उपाय उठाने जरूरी हैं. पटाखे का धुंआ पल्यूशन को कई गुना तक बढ़ा देता है. ऐसे में पटाखे नहीं जले या कम जले तो दिल्ली में पिछले साल जैसी स्थिति नहीं बनेगी. पिछले साल दिवाली पर दिल्ली एनसीआर में करीब दस दिनों तक हवा सांस लेने लायक नहीं रही थी. इस स्थिति के लिए पटाखे बड़ी वजह रहे थे. टेरी के असोसिएट डायरेक्टर सुमित शर्मा के अनुसार प्रदूषण पर पूरी तरह कंट्रोल के लिए पल्यूशन के अन्य सोर्स को भी कम करना जरूरी है.

पीएम 2.5 बढ़ने की वजह

– 40 पर्सेंट पल्यूशन एनसीआर के बाहर से आने वाले स्मॉग की वजह से बढ़ता है. इसमें पराली जलाना, खाना पकाने के लिए डोमेस्टिक बायोमास, इंडस्ट्री और पावर प्लांट का धुंआ शामिल है.

– 60 पर्सेंट पल्यूशन की वजह दिल्ली-एनसीआर में ही है. इसमें ट्रांसपॉर्ट, सड़कों पर धूल, कंस्ट्रक्शन साइटों पर धूल, खुले में कूड़ा जलाना, डोमेस्टिक बायोमास, इंडस्ट्री से निकलने वाला धुंआ और डीजी सेट्स शामिल हैं.