मेधा पाटकर का गिरफ्तारी से ठीक पहले संदेश

अगस्त ७, शाम ६ बजे आज मध्य प्रदेश सरकार हमारे १२ दिन के अनशन पर बैठे हुए १२ साथियों को मात्र गिरफ़्तार करके जवाब दे रही हैं. ये कोई अहिंसक आंदोलन का जवाब नहीं है. मोदीजी के राज में शिवराजजी के राज में एक गहरा संवादन, जो हुआ उस पर जवाब नहीं, आकड़ों का खेल, कानून का उल्लंघन और केवल बल प्रयोग जो आज पुलिस लाकर और कल पानी लाकर करने की उनकी मंशा है. इसका उपयोग ये हम लोग इस देश में गाँधी के सपनों की हत्या मानते है, बाबा साहेब के संविधान को भी न मानने वाले ये राज पर बैठे है. और वह समाजों के, गाओं के, किसानों के, मज़दूरों के, मच्छुवार्रों के कोई परवा नहीं करते है. ये अब इस बात से स्पष्ट हो रहा है. उन्होंने बंदूकों से हत्या की यहां और यहाँ जल हत्या करने के मंशा है इसलिए हम उनके बीच में आ रहे हैं ऐसा उनका मानना है. पहले अनशन तोड़ो बात करो, यह हम कैसे मंज़ूर कर सकते है? एक बाजू मुख्यमंत्री खुद कह रहे है कि ट्रिब्यूनल का फैसला जो कानून, उसका अमल पूरा हो चुका है. दुसरे बाजू बोल रहे है अनशन तोड़ने के बाद ही चर्चा करेंगे. इसके साथ जिन मुद्दों पर सब तो रख चुके है. तो अब यह चोटी पर जाना पड़ेगा, अहिंसक आंदोलन और जवाब समाज ने देना पड़ेगा. नर्मदा घाटी के लोगों पर बहुत कहार मचाने जा रहे हैं. प्रकृति साथ दे रही है, गुजरात पानी से लबालब है, यहां पानी नही भरा है. लेकिन कल क्या होगा कौन जाने? १२ अगस्त को मोदीजी ने अगर इस मुद्दे पर महोत्सव मनाया और जश्न मनाया और वह भी साधुओं के साथ और १२ मुख्या मंत्रियों के साथ, तो उनकी सरकार और उनकी पार्टी किस प्रकार से विकास को आगे धकेलना चाह रही है. इस देश के कोने कोने में संघर्ष पे उतरे साथी कह रहे है, वही बात फिर अधूरिखित. हम इतना ही चाहते है, कि ‘नर्मदा से हो सही विकास, समर्थकों की यहीं है आस’ – यह हमारा नारा आज केवल नर्मदा घाटी के लिए नहीं है, देश में कोई भी अब विस्थापन के आधार पर विकास मान्य न करें. विकल्प वही तय करें. यही हम चाहते हैं . मेधा पाटकर