चंद्रमा का रहस्य और भारतीय वैज्ञानिको का सपना बास ढ़ाई सेकेंड के वक्त पर टिका है ,जानिए कैसे

चंद्रयान-3, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के तत्वाधीन एक उद्घाटन घटना होने के कुछ ही घंटों बाद, चांद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंड होने की दिशा में बढ़ रहा है। 23 अगस्त की शाम को, लगभग 6 बजकर 4 मिनट पर, ISRO ने लैंडर मॉड्यूल को सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास करेगा। अगर यह प्रयास सफल होता है, तो रोवर अगले कई दिनों तक चंद्रमा पर रहकर उसके रहस्यों को खोल सकता है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी।

इस मिशन की शुरुआत चंद्रयान-3 का मार्ग चंद्रयान-2 के बाद बनाया गया था, जिसका सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता नहीं मिली थी। इसके बाद, ISRO ने तीसरे मिशन की योजना बनाई और उसमें पिछले मिशन से सिखकर कई सुधार किए गए। यह तय कर लिया गया कि 2023 में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के लिए कुल बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है।

लॉन्चिंग का महत्वपूर्ण दिन 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे, चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। इससे पहले, ISRO के वैज्ञानिकों ने 11 जुलाई तक मिशन की तैयारियों को पूरा किया और उसके बाद ‘लॉन्च रिहर्सल’ का सफलतापूर्वक पूरा किया।

अद्वितीय प्रयास की सफलता 14 जुलाई को चंद्रयान-3 की उपलब्धि के साथ, पूरे देश और विश्व ने इस सफल लॉन्चिंग को गौरवान्वित किया। श्रीहरिकोटा से 2:35 बजे चंद्रयान-3 का लॉन्च हुआ और यह आकाश में उड़ने लगा, चंद्रमा की ओर बढ़ते हुए।

लैंडिंग की प्रक्रिया चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंड कराने के लिए, ISRO ने उसे एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से उतारने का प्रयास किया है। इसमें डीबूस्टिंग प्रक्रिया का भी उपयोग किया गया, जिससे लैंडर मॉड्यूल की गति को कम किया गया। इसके बाद, 23 अगस्त को लगभग 6 बजकर

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