किसानों के दर्द के साथ भी घिनौना मज़ाक, फर्ज़ी फोटो बनाकर किसानों को बदनाम करने की कोशिश

नई दिल्ली: पिछले लगभग महीने भर से तमिलनाडु के किसान अपनी मांगों को लेकर जंतर मंतर पर धरना दे रहे थे. रविवार को प्रशासन की तरफ से मिले आश्वासन के बाद उन्होंने अपने धरने को स्थगित कर तमिलनाडु वापस जाने का फैसला किया है. इनके इस महीने भर के प्रदर्शन के दौरान तमाम तस्वीरें सामने आईं. कभी नर खोपड़ियों के साथ धरना देते हुए तो कभी अपना ही मूत्र पीते हुए. उन्होंने जंतर मंतर की सड़कों पर सानकर सांभर चावल भी खाया. चूंकि ये हालात मोदी सरकार के लिए बेहद बदनामी वाले थे तो सोशल मीडिया सेल इसके खिलाफ माहौल बनाने में लग गया. पहले इन किसानों को नकली बताया गया. फिर कहा गया कि आंदोलन के नाम पर किसान ऐश कर रहे हैं और महंगा बिसलरी पानी पी रहे हैं. इसके बाद कहा गया कि केजरीवाल को नगर निगम का चुनाव जिताने ये किसान आए थे और वापस हवाई जहाज से चले गए.

इस सबसे काम नहीं चला तो एक नई तस्वीर सामने आई है. कुछ किसानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन तस्वीरों में कुछ किसान सड़क नोएडा के बढ़िया जुते हुए खेतों में हल फोटोशूट करवा रहे हैं. किसानों ने वैसे ही हरे कपड़े पहने हैं जैसे जंतर मंतर पर आंदोलन कर रहे किसानों के हैं. मज़ेदार बात ये है कि इन किसानों की शक्ल और सूरत दक्षिण भारतीय किसानों से बिलकुल नहीं मिलती.

बहरहाल अब सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीरें नकली थीं. सिर्फ तस्वीरों पर ही नहीं किसानों के इस हड़ताल को ही नकली और प्रायोजित बताया जा रहा है.सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें शेयर की जा रही हैं जिसमें किसान खोपड़ियों के साथ खेत में शूट करवा रहे हैं. हालांकि इन तस्वीरों की सच्चाई क्या है अभी इस बात की पुष्टी नहीं हुई है.

इन तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा जा रहा है कि मोदी सरकार को बदनाम करने व जनता की आंख में आंसू लाने के लिए कुछ जर्नलिस्ट्स को बहुत मेहनत करनी पड़ती है. कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि तस्वीर में जो किसान दिख रहे हैं उनमें से एक वामपंथी नेता है.

सोशल मीडिया पर फेसबुक हो या ट्वीटर, ऐसे ही पोस्ट से भरा हुआ है. लोग दावा कर रहे हैं कि किसानों को नोएडा के खेतों में ले जाकर उनकी फोटोग्राफी की जा रही है और बताया जा रहा है कि ये तमिलनाडु के हालात हैं. इन पोस्ट्स में लिखा जा रहा है कि ये तमिलनाडु के किसानों की ये हड़ताल पूरी तरह से विरोधियों की साजिश है और मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए ही रचा गई है.