आदिवासियों को लेकर वायनाड में ये क्या बोल गए राहुल गांधी!


केरल के वायनाड में रविवार (13 अगस्त) को, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दौरे के दूसरे दिन एक महत्वपूर्ण संवाद किया, जिसमें उन्होंने आदिवासी समुदाय के प्रति उनकी सोच और मानवीयता की महत्वपूर्ण बातें उजागर की। इस मौके पर, उन्होंने यह दर्शाया कि आदिवासी समुदाय को सिर्फ जंगलों में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में समाज में भी अपनी जगह होनी चाहिए।

राहुल गांधी ने आदिवासियों के साथ अपनी मुलाकात के दौरान उनकी महत्वपूर्ण परंपराओं और संस्कृतिक धरोहर का सम्मान किया। उन्होंने आदिवासी समुदाय के साथ उनके धार्मिक आदर्शों की बातचीत की और उनके देवताओं के दर्शन किए। इसके साथ ही, वह पारंपरिक नृत्य और खाने का स्वाद भी लिया, जो आदिवासी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

वायनाड के दूसरे दिन, रविवार को, राहुल गांधी ने आदिवासी समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए यह उद्घाटन किया, “आपको (आदिवासी) परेशान और परेशानी में नहीं डालने का कोई अधिकार नहीं है। आपका हक है कि आप खुद के जीवन को खुद तय करें। आपको अपनी संख्या, संस्कृति और भाषा के आधार पर वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।”

विचारशील और समझदारी से, उन्होंने इस विचारधारा को उजागर किया कि ‘वनवासी’ शब्द का प्रयोग करके आदिवासी समुदाय को उनकी मूल ज़मीन से दूर किया जा रहा है। उनके अनुसार, यह शब्द उनकी आवश्यकताओं और समृद्धि की पहचान को छिपाता है और उन्हें उनके प्राकृतिक संसाधनों से वंचित करने की कोशिश करता है।

राहुल गांधी ने यह साफ़ दिखाया कि आदिवासी समुदाय का समर्थन करना और उनकी आवश्यकताओं की समझ करना अपने विचारों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनके द्वारा व्यक्त की गई बातें न सिर्फ आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा करती हैं, बल्कि समाज में सामाजिक समरसता और समानता की दिशा में एक प्रेरणा स्रोत भी हैं।

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