देश में कैंसर के लिए तंबाकू नहीं तंबाकू कंपनियां ज़िम्मेदार, 140 देशों के अध्ययन में खुलासा

आपको पता है देश में तंबाकू के कारण होने वाले कैंसर के लिए तंबाकू कसूरवार नहीं है दरअसल तंबाकू से ज्यादा इसके लिए तंबाकू बनाने वाली कंपनियां जिम्मेदार है. तंबाकू उत्पादन के गलत तरीके के कारण ही हर साल मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या  30 से 40 फीसदी बढ़ रही है. ये चौंकाने वाला आकड़ा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (एनआइसीपीआर) द्वारा 140 देशों में किए गए विश्लेषण में सामने आया है.

रिपोर्ट से पता चला कि यूरोप, अमेरीका, अफ्रीका व एशिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में तंबाकू उत्पादन का तरीका सबसे खतरनाक है. दो साल में तैयार हुई ये विश्लेषण रिपोर्ट केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दी गई है. इस रिपोर्ट के बाद देश में पहली बार तंबाकू उत्पादन के लिए गाइड लाइन बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. केन्द्र सरकार इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कृषि मंत्रालय का भी सहयोग ले रही है.

एनआइसीपीआर के विश्लेषण में ये बात भी सामने आई है कि चबाने वाले तंबाकू से मुंह के कैंसर का खतरा सबसे कम स्वीडन में है. इसके लिए वहां तंबाकू उत्पादन के लिए बनी पुख्ता नीति को वजह माना जाता है. एनआइसीपीआर ने अपनी रिपोर्ट में स्वीडन की तंबाकू उत्पादन नीति का भी जिक्र किया है. इसी नीति को आधार बनाकर भारत में भी तंबाकू उत्पादन की गाइड लाइन तैयार की जा रही है.

स्वीडन में तंबाकू उत्पादन की गाइड लाइन के तहत तंबाकू के पौधे को एक तय तापमान वाले क्षेत्र में ही उगाया जाता है. फिर पत्तों को निर्धारित नमी में काटकर रखा जाता है. तंबाकू को रखने के लिए भी अलग व्यवस्था है. पत्तों की कटाई भी खुले में नहीं होती है.

प्रोफेसर रवि मेहरोत्रा (डायरेक्टर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च, नोएडा) ने बताया कि भारत में मुंह के कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या रोकने के लिए केंद्र सरकार ने दो साल पहले विश्लेषण करने के निर्देश दिए थे. 140 देशों के पांच हजार रिसर्च की स्टडी हुई, जिसके आधार पर विश्लेषण रिपोर्ट तैयार हुई है. इसमें पता चला कि तंबाकू उत्पादन की खराब गुणवत्ता से मुंह के कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं. अब केंद्र सरकार तंबाकू उत्पादन के लिए नीति तैयार कर रही है.

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