लोकपाल की नियुक्ति को लगातार क्यों लटका रही है मोदी सरकार, अन्ना-केजरी चुप क्यों ?

करप्शन के नाम पर बड़ी बडी बातें करने वाली मोदी सरकार खुद के हाथ में पूरी पावर होने के बावजूद कड़ी निंदा के भाव से बाहर निकलने को तैयार नहीं है. हालात ये हैं कि चार साल से सत्ता में काबिल सरकार लोकपाल की नियुक्ति ही करने को तैयार नही है. बड़े स्तर पर आंदोलन चलने के बाद किसी तरह भारत में लोकपाल कानून आया. इसके बाद यूपीए की सरकार चली गई. इसके साथ ही लोकपाल भी ठंडे बस्ते में पड़ गया.

मजेदार बात ये है कि लोकपाल के लिए आसमान सिर पर उठा लेने वाले अन्ना हजारे अब इस मसले पर बोलने को तैयार नही है. लोक पाल आंदोलन के कारण अपना राजनीतिक वजूद बनाने वाले अरविंद केजरीवाल बीजेपी से नूराकुश्ती में लगे रहते हैं लेकिन लोकपाल की बात नहीं करते.

बड़ी बात ये है कि लोकपाल की नियुक्ति जैसे छोटे काम के लिए देश में करप्शन पर लगाम लगाने का काम रुका हुआ है. लोकपाल पर इतनी गहन शांति बताती है कि लोकपाल आंदोलन शायद करप्शन का मसला उठाने के लिए थी ताकि उसका फायदा चुनाव में उठाया जा सके. लेकिन सबसे मज़ेदार बात है इस मामले पर कांग्रेसी की चुप्पी. कांग्रेस भी लोकपाल मामले पर शांति से बैठी है. सिर्फ लेफ्ट पार्टियां लगातार करप्शन के खिलाफ ये मामला उठाती हैं.

आज फिर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी ने ये मसला उठाया पार्टी ने मोदी सरकार पर जिम्मेदारियों से भागने का आरोप भी लगाया.

येचुरी ने ट्वीट करके कहा, “चाहे ललित मोदी मामला हो या पीएनबी धोखाधड़ी मामला, बिरला-सहारा डायरी केस हो या व्यापम से जुड़ी मौतों का मामला अथवा भ्रष्टाचार का कोई और मामला, भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपनी जिम्मेदारियों और जवाबदेही से भागने का प्रयास करती रही है. येचुरी ने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति पर पहली बैठक बुलाने में सरकार ने चार साल लगा दिए. ये बैठक भी सुप्रीम कोर्ट के दबाव में सिर्फ कोर्ट को जवाब देने के लिए बुलाई जा रही है. बैठक एक मार्च को हो रही है.

येचुरी लिखते हैं.  “घोर पूंजीवाद को फलने-फूलने की अनुमति देने के लिए चार साल तक इंतजार किया गया और दोस्तों को जनता का पैसा लूटने और भागने की अनुमति दी गयी. उन्होंने पीएनबी धोखाधड़ी की जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग भी की. श्री येचुरी ने कहा कि सुधार केवल फरमान से नहीं हो सकता. ज्यादातर संस्थागत सुधार जेपीसी के जरिये ही हुए हैं, लेकिन यह सरकार इस मामले में जेपीसी गठित क्यों नहीं कर रही है? कुछ शब्द मात्र बोल देने से कुछ नहीं होने वाला.