इसलिए दिल्ली के विधायकों का अफसरों के नाम से खून खौलता है, पढ़िए कैसे लगाते हैं वो अड़ंगे

नई दिल्ली : दिल्ली के विधायकों को यहां के बाबुओं पर गुस्सा क्यों आता है. अगर इस गुस्से का पता लगाना है तो ये खबर पढ़िए . शादय आपको भी लगे कि गुस्सा जायज है.

दिल्ली की सरकार ने जब घर बैठे राशन पहुंचाने की योजना पेश की तो अफसरों ने उसपर अजीबों गरीब सवाल उठाए . आपकी जानकारी के लिए हम यहां कुछ आपत्तियां बता रहे हैं. आपको खबर के बाद एक लाइन में बताएंगे कि इन आपत्तियों के बाद दिल्ली सरकार ने क्या किया.

  1. लोगों को घर बैठे आटा देना गलत है गेहूं देना चाहिए. राशन में आटा देना है तो केन्द्र की मंजूरी लेनी होगी. गरीबों को आटा नहीं गेहूं दो. गेहूं की क्वालिटी का पता चल सकता है आटे की नहीं. ( ये साइंस कहां की है आप खुद समझें)
  2. गेहूं से आटा बनाने में नुकसान होगा . लॉस होगा . उसकी भरपाई कौन करेगा ?
  3. आप राशन डोर स्टैप डिलीवरी के ज़रिए पहुंचाएंगे और राशन की दुकान भी खोलकर रखेंगे. इससे नुकसान होगा. दुकान दारों की मार्जिन मनी बढ़ानी चाहिए क्योंकि उनकी दुकानों की बिक्री कम हो जाएगी.
  4. जो तौलने की मशीनें दुकानों की दी गईं हैं वो बेकार हो जाएंगी. (एक विभाग सड़क बनाता है. दूसरा खोदता है उससे होने वाले नुकसान पर कभी कोई बात नहीं करता, सारा एतराज दो सौ रुपये की तराजू पर है )
  5. जो मौजूदा ऑन लाइन सिस्टम (E-POS) लागू किया गया है वो लीकेज रोक रहा है और उससे राशन आउट-टेक भी बढ़ा है तो उसे क्यों छोड़ा जा रहा है, क्योंकि इससे भ्रष्टाचार में कमी भी आई है

कल्पना कीजिए. आम आदमी को राशन घर पहुंचे पैकेट में बंद होकर मिलने जा रहा है. राशन की दुकान वाला कम नहीं तौल सकेगा. दुकानदार की सुविधा से लाइन में लगने के बजाय अपनी सुविधा से घर पर राशन मिलेगा. पैकेट बंद राशन में मिलावट और कमतौली नहीं होगी. लेकिन जनता को मिलने वाली सुविधा पर अफसरों को कैसे कैसे एतराज़ याद आते हैं. खैर अब आपको बताते हैं कि इन आपत्तियों को दिल्ली सरकार ने क्या किया. उसने इन आपत्तियों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया. लिखा सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए हम अपनी रिस्क पर फैसला ले रहे हैं.